संपादकीय 

डॉ. आलोक रंजन पाण्डेय

शोधार्थी

निर्गुण संत कवियों की संधा भाषा : परंपरा और प्रयोग – श्वेतांशु शेखर

औपनिवेशिक सामाजिक-सांस्कृतिक संकट : हिन्दी कहानी और उदय प्रकाश – दीपक कुमार जायसवाल

हिंदी आलोचकों की विहंगम दृष्टि ( सूरदास के परिप्रेक्ष्य में ) – अनिल कुमार

भारतीय समाज व्यवस्था में स्त्री के स्वतंत्र व्यक्तित्व की राह में बाधाएँ – शैलेन्द्र कुमार सिंह

भारतीय भाषाओं की कृतियों के सिनेमाई रूपान्तरण का स्त्रीवादी पाठ – मनीषा अरोड़ा

हिन्दी साहित्य परिप्रेक्ष्य में गुरुनानक देव जी का सामाजिक एवं सांस्कृतिक देय – अभिनव

विलक्षण प्रयोगधर्मी रचनाकार कृष्ण बलदेव वैद – राम विनय शर्मा

गुरुनानक (एक दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, समाजसुधारक, कवि और देशभक्त ) – तेजस पूनिया

अनुभूति 

राकेश धर द्विवेदी की कविताएं

बिनोद कुमार रजक की कविताएं

लव कुमार लव की कविताएं

साॅफ्टवेयर ( कहानी) – मनोज शर्मा

डॉ. संजीव कुमार विश्वकर्मा की पाँच कविताएं

शर्मिन्दगी  (लधुकथा) – केदारशर्मा ’निरीह’

रंजीत कुमार त्रिपाठी की कविताएं

महेश कुमार केशरी की पाँच कविताएं

जरा हटके 

बात जो दिल को छू गयी – डॉ० दीपा

जान है तो जहान है  (व्यंग) – संजय वर्मा”दृष्टि”

समीक्षा 

‘मुआवजा’ श्रमिक-शोषण का दस्तावेज है (महेश कुमार केसरी) – देवचंद्र भारती ‘प्रखर’

सिनेमा / फैशन 

‘हल्की गुलाबी’ – गुलाबो सिताबो – तेजस पूनिया

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