इक्कीसवीं सदी का हिंदी सिनेमा : स्त्री चेतना के विविध आयाम – डॉ. सुषमा सहरावत
माध्यम रूपान्तरण का सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक पक्ष – कृष्ण मोहन
साहित्य व सिनेमा – डॉ. अंजु कुमारी
भारतीय हिन्दी सिनेमा में गीतकार शैलेन्द्र का योगदान – बुद्धिराम
‘आँधी’ : आज भी समय की धार पर खरी है फिल्म – डॉ.अनिता प्रजापत
मलयालम सिनेमा : एक सफरनामा – डॉ० प्रीति के
हिंदी का सिनेमा, साहित्य और समाज – प्रो. माला मिश्र
सिनेमा और हिंदी साहित्य का भावनात्मक जुड़ाव – डॉ. किरण ग्रोवर
हिंदी सिनेमा में स्त्री की बदलती छवि – डॉ. उर्मिला शर्मा
भारतीय सिनेमा : युवा वर्ग और शिक्षा का अस्तित्व – डॉ. नम्रता जैन और डॉ. रत्नेश कुमार जैन
फिल्म ‘माझी : द माउन्टेन मैन’ के बहाने दलित संस्कृति और समाज का अध्ययन – महेश सिंह
रजत-पट पर राजस्थानी संगीत के स्वर्णिम हस्ताक्षर – सीमा जोधावत वर्मा
हिन्दी सिनेमा पट कथा लेखन और भीष्म साहनी – डॉ. नवीन कुमार
राग दरबारी जारी है बनाम लोकतंत्र की संस्थाओ से मोहभंग की कथा – डॉ. चन्दन कुमार
हिंदी सिनेमा और नारी – पंकज गौड़
साहित्य से सिनेमा रूपांतरण तक की मुख्य समस्याएँ – नीरज छिलवार
साहित्य व सिनेमा – डॉ. अंजु कुमारी
हिन्दी सिनेमा के गीतों में महकता सावन और बारिश – डॉ. अनुपमा श्रीवास्तव
भारत में मीडिया का बदलता परिदृश्य : एक अध्ययन – राकेश कुमार दुबे
सुकून (कविता) – संजय वर्मा “दृष्टि”
कस्बों की ज़िंदगी की ओर लौटता हिंदी सिनेमा – डॉ. मुनीश कुमार शर्मा
स्वतन्त्रता आन्दोलन में हिन्दी सिनेमा का योगदान – डॉ. चंद्रकला
मैथिली सिनेमा की यात्रा – प्रतिभा झा
प्रधानमंत्री के नाम ख़त – दुर्ग विजय चन्द
समकालीन मलयालम सिनेमा और स्त्री – विनीजा विजयन
समाज को प्रभावित करता सिनेमा मनोविज्ञान – डॉ. प्रेरणा चतुर्वेदी
फिल्म चाहे जिस भाषा का क्यों न हो उसमें साहित्य दिखना चाहिए – दिलीप कुमार शर्मा ‘अज्ञात’
सिनेमाई परदे पर उभरता सामाजिक मूल्यों का रीमेक – डॉ. नीतू गुप्ता
रॉग नम्बर ( एम.एस.मूर्ति का कन्नड भाषा से अनुदित लेख ) – डॉ. गगन कुमारी हळवार तथा डॉ. हेमावती