आज जब संसार के सिमट कर नजदीक आने की बात की जाती है,तो इसके पीछे संचार क्रांति की महत्ती भूमिका दृटिगत होती है। औद्योगिक क्रांति के बाद सबसे बड़ी क्रांति के रूप में मीडिया क्रांति का उदय हुआ ।फेसबुक,ट्विटर,वाट्स-अप,यू-टयूबआदि अभिव्यक्ति के नए द्वार हैं ।अभिव्यक्ति के नए माध्यम ही दुनिया की शक्ति के प्रतीक माने जाते हैं।।आज वही व्यक्ति सफल माना जाता है, जिसके पास सूचनाओं का भंडार हो । अभिव्यक्ति के विभिन्न रूप ही व्यक्ति को सूचनाएं देकर उसे वैचारिक दृष्टि से समृद्ध करते हैं। वर्तमान समय में मीडिया के क्षेत्र में जो तकनीकी क्रांति हुई है, उसकी गति अबाध है । इसने प्रत्येक व्यक्ति को चाहे किसी भी जाति ,धर्म का हो अपने आगोश में ले लिया है .
आज मीडिया के विभिन्न माध्यमों की समाज में जैसी भूमिका है,वैसी पहले नहीं थी ।आज जितने रूप सक्रिय हैं,कुछ साल पहले उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी । आज हम माध्यम आच्छादित जीवन जी रहे हैं । पहले भाषा मौखिक,लिखित और सांकेतिक रूप में ही प्रस्तुत की जाती थी ।सूचना क्रांति के बाद एक नई तरह की भाषा अस्तित्व में आ गई है । जिसे तकनीकी भाषा कहा जाता है । जो पेंन पेंसिल से लिखी जानी वाली भाषा का अधिक विस्तृत तथा आधुनिक रूप है।
यूनीकोड एक ऐसा इनपुट टूल है जिसके डाउनलोड तथा प्रयोग करने के बाद मनचाही राष्ट्रीय,क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय भाषा स्क्रीन पर आ जाती है । पहले प्रयोगकर्ता के पास अंग्रेज़ी भाषा का की- बोर्ड होता था । यदि किसी दूसरी भाषा में काम करना हो तो अलग की- बोर्ड की आवश्यकता होती थी । किंतु यूनीकोड की सहायता से यह कार्य आसान हो गया है। अब ऐसे छोटे-छोटे कैमरे आ गए हैं,जिन्हें SPY कैमरे कहा जाता है।इनकी सहायता से स्टिंग आपरेशन करना आसान हो गया है। ये कैमरे बटन,पैन,बेल्ट के रूप में उपस्थित रहते हैं।
इंटरनेट को सम्पूर्ण ज्ञान का मंच कहा जाता है। अकेले गूगल डॉट कॉम पर प्रतिदिन करोंडों लोग अलग-अलग तरह की सूचनाओं की प्राप्ति के लिए सर्च करते हैं। आज इंटरनेट पर विवाह से लेकर जमीन खरीदने बेचने,रेल-टिकट,शेयर बाजार से संबंधित जानकारी के लिए कार्य किया जाता है। दूर-शिक्षा की संभावनाओं का भी इस माध्यम के कारण विस्तार हुआ है।आज इंटरनेट पर अनेक पत्रिकाएं उपलब्ध हैं,जिसे ऑनलाइन पत्रकारिता कहते हैं। जिसका अर्थ है-निरंतर वास्तविक स्थितियों में पत्रकारिता करना, अपने आपको नवीन बनाए रखना। आज अनेक समाचार पत्रों के संस्करण इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया,हिन्दुस्तान टाइम्स आदि।
इंटरनेट ब्लागिंग एक ऐसी डायरी है जो व्यक्तिगत होते हुए भी सार्वजनिक है। इसमें व्यक्ति अपनी बातों को दूसरों के साथ शेयर कर सकता है। ब्लॉग के बारे में कहा जाता है, कि इसमें विचार वास्तविक रूप में सामने आते हैं। वास्तव में इंटरनेट पर कोई भी माध्यम नियंत्रित नहीं कर रहा होता है। हिंदी में ब्लॉग लेखन का आरंभ पिटे साहित्यकारों का अपनी रचनाओं के प्रकाशन के द्वारा हुआ था। धीरे-धीरे इसकी उपयोगिता का ज्ञान सभी को होने लगा। इसके महत्व से सभी अवगत होने लगे।। इसे जनता का सच्चा हमदर्द कहा जाने लगा ।घटित घटनाओं का सच सामने आने लगा।
आज के युग को सोशल मीडिया का युग कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।सोशल मीडिया ने टी.वी..,रेडियो के मूक दर्शकों समाचार पत्रों के पाठकों को इतना एक्टिव बना दिया है, उन्हें ऐसा मंच दिया है जिसके माध्यम से वे अपने विचार दूसरों के साथ बाँट सकते हैं। आज प्रत्येक व्यक्ति पत्रकार की भूमिका अदा कर रहा है। वह घर बैठे ही अपनी बात सभी तक पहुँचा सकता है। ऐसा सम्भव हुआ है-सोशल मीडिया से। फेसबुक ,ट्विटर ,वाट्स-अप, यू-टयूब आदि मीडिया के नए आयाम न होकर अभिव्यक्ति के नए द्वार हैं।यह ऐसा मंच है जहाँ जाति धर्म का कोई भेदभाव नहीं है। यह दवार सभी के लिए खुला है। आज के समय में सोशल मीडिया स्टेटस सिम्बल बन गया है। एक जरूरत के रूप में हमारे जीवन में प्रवेश कर चुका है। इंटरनेट क्रांति के इस युग में सोशल मीडिया ने सम्पूर्ण विश्व को ऐसा नायाब उपहार दिया है,जो सभी को ,सभी के विचारों को बाँधने की शक्ति रखता है।इस बात को विभिन्न अवसरों पर इसके उपयोग ने सच साबित कर दिया है। विशेषकर फेसबुक ने आम आदमी को अपने विचारों को सबसे सांझा करने का अवसर प्रदान किया है। सोशल मीडिया के कारण लोगों के आपसी संबंधों तथा संवादों में तेजी से बदलाव आया है।समाज से कटे लोग अब इन माध्यमों की सहायता से पुनः समाज तथा संबंधियों से जुडने लगे हैं। जब कभी खाली समय मिला फेसबबुक के माध्यम से अपने विचार दूसरों तक पहुँचा दिए। चाहे किसी का जन्मदिन हो या शादी की सालगिरह या खुशी का कोई भी अवसर, अपने विचारों से दूसरों को अवगत कराया जा सकता है।. आजकल तो राजनीति के क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर मतदाताओं को प्रभावित कर नेता अपने विचारों से सभी को अवगत करा रहे है।2010 में अन्ना हजारे के नेतृत्व में भष्टाचार के खिलाफ किया गया जनआंदोलन हो या दिल्ली विधान सभा के चुनावों में केजरीवाल द्वारा गठित पार्टी हो सभी ने इन्हीं सोशल मीडिया के माध्यम से एक लहर को पैदा करके मतदाताओं के विचारों को बदल दिया था। 16 दिसम्बर 2012 में दामिनी के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के खिलाफ जनता का जो क्रोध प्रकट हुआ,इंडिया गेट पर विशाल प्रदर्शन,हजारों लोगों की भीड के पीछे सोशल मीडिया द्वारा चलाया गया अभियान था। सोशल मीडिया ने समाज में हो रहे अन्याय, अत्याचार, बलात्कार, रिश्वतखोरी, पुलिस अत्याचारों के खिलाफ लड़ने के तरीकों को बदल दिया है। अब किसी भी भष्ट पुलिस अधिकारी या कर्मचारी का वीडियो बनाकर उसे इंटरनेट पर अपलोड कर दीजिए,तुरंत लाखों लोगों तक पहुँच जाएगा ।उस भष्ट व्यक्ति पर कारवाई शुरु हो जाएगी।
संचार क्रांति के इस युग में सोशल मीडिया एक बडे परिवर्तन- कारक बन कर सामने आया है। अब घर बैठे ही सारी दुनिया से जुड़ने के इस माध्यम का महिलाओं के जीवन पर भी प्रभाव पडा है। पहले घरेलू महिलाएं अपने विचारों को घर के सदस्यों के सामने ही रख नहीं पाती थी,तो उसे समाज के सामने प्रस्तुत करना तो बहुत दूर की बात है। आज ऐसी महिलाओं के लिए अपनी कला, योग्यता, विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए कहीं जाने की ज़रूरत नहीं है। यह सब फेसबुक ट्विटर तथा इंटरनेट से आसान हो गया है। आज कुछ ऐसे व्यक्ति विशेष जो समाज तथा रिश्ते नातों की पकड़ से दूर हो गए है,उनसे दुबारा जुड़ने में यही माध्यम विशेष रूप से लाभकारी सिद्ध हुए है। कुछ स्त्रियाँ तो इन्हीं माध्यमों के द्वारा अपना छोटा-मोटा व्यवसाय भी करने लगी है।
सोशल मीडिया के जहाँ सकारात्मक पक्ष हैं, वहीं नकारात्मक पहलु भी हैं। इन माध्यमों के द्वारा जहाँ समाज में अच्छी तथा कारगर बातें फैलाई जा सकती हैं, वहीं नफरत और घृणा की भी अभिव्यक्ति एक साथ दिखलाई पड़ती है। कुछ ऐसे शरारती तत्व भी हैं,जो समाज में नफरत फैलाने के लिए इन्हीं माध्यमों का सहारा ले रहे हैं। ऐसे तत्व निरंतर लोगों पर तरह-तरह से हमला करने के लिए तैयार रहते हैं। आपके अकाउंट से पैसै निकाल सकते हैं। इंटरनेट पर नकली दोस्त बन कर आपके ऊपर या परिवार पर घात लगा सकते हैं।इन्हीं माध्यमों पर की गई असावधानी वश अभिव्यक्ति जानलेवा तक साबित हो सकती है। कभी- कभी कुछ ऐसे कमेंटस प्राप्त होते हैं,जो व्यक्ति को मानसिक रूप से इतना आहत कर देते हैं कि वह कुछ भी करने को तत्पर हो जाता है। यही माध्यम युवा पीढ़ी को बहकाने में भी पीछे नहीं हैं। उदाहरण कै तौर पर जम्मू-कश्मीर में हो रहे हमलों को लिया जा सकता है।इस प्रकार की सूचनाएं सोशल मीडिया के माध्यम से युवक-युवतियों तक पहुँचा कर उन के मन में नफरत का बीज बो दिया जाता है,कि न चाहते हुए भी वे नफरत फैलाने वाले संगठनों से जुड़ जाते हैं। जो व्यक्तिगत स्तर पर तो हानिकारक है,देश समाज के लिए बड़ी बाधा बन जाते हैं ।पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल विक्रम सिंह ने इस बात को स्पष्ट शब्दों में व्यक्त किया है कि सोशल मीडिया ही ऐसे दंगों को भड़काने में विशेष भूमिका निभा रहा है। “पाक्स्तान ने हमारे बच्चों को बरगलाने के लिए सोशल मीडिया, धर्म उपदेशकों और छद्म तरीकों का इस्तेमाल किया है। कट्टरपंथ के बढ़ने से कश्मीरियत कमजोर हो गई है।धीरे-धीरे इस कश्मीरियत को खत्म करने की कोशिश हो रही है।“ उनका कहना है कि सोशल मीडिया ने कश्मीर के हालात ज़्यादा बिगाड़े हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने बयान में कहा कि सोशल मीडिया पर मुझे जिन भद्दे और गाली जैसै शब्दों का सामना करना पड़ा है।यदि उनके प्रिंट निकाले जाएं तो उससे ताजमहल ढक जाएगा इसके बावजूद प्रधानमंत्री ने इन आलोचनाओं को शालीनता से सुनते हुए अपने समर्थकों को नसीहत दी की वे इस प्रकार की भाषा का प्रयोग न करें। अनेक ऐसे सेलब्रिटीज़ हैं,जो चर्चा में आने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेकर ऐसे विचार अपलोड करते हैं।
सोशल मीडिया ने जहाँ हमारे जीवन में आशा की किरण बनकर प्रकाश फैलाया है,वहीं इन माध्यमों के कारण महिलाओं के जीवन में साइबर क्राइम की बाढ़ आ गई है। आज घर, समाज की भांति इन माध्यमों के प्रयोग में सावधानी बरतने की आवश्यकता है।आज लड़कियों में अपने आप को दुनिया के सामने प्रस्तुत करने की जो होड़ है,वही होड़ उन्हें अनेक मामलों में उलझा रही है।अनेक मामले ऐसे हैं,जहाँ लड़कियाँ फेसबुक के माध्यम से अनजान लोगों से की गई दोस्ती का खामियाजा भुगत रही हैं।उनकी अस्मिता पर दाग लग गए हैं।इस खुलेपन वाली जिंदगी पाने की चाहत उन्हें अनचाही समस्याओं से घेर रही है।
कुल मिला कर कहा जा सकता है कि इन माध्यमों की उपयोगिता इस बात पर निर्भर करती है कि उसे किस प्रकार प्रयोग में लाया जा रहा है।व्यक्तिगत स्तर पर सावधानीपूर्वक इस्तेमाल के साथ ही समाज में बड़े पैमाने पर जोड़ने से ही इनकी उपयोगिता सिद्ध होगी। वहीं इन माध्यमों का अत्याधिक प्रयोग सामाजिक संबंधों में दूरी का कारण बन रहा है।सामाजिक गतिविधियों में कम भागीदारी, इंटरनेट उपलब्ध न होने पर बैचेनी, दूसरों के कमेंट या लाइक्स देखकर ईष्या आदि इसके नकारात्मक प्रभाव हैं।

 

डॉ. चित्रा सचदेवा
रामानुजन कॉलेज
नई दिल्ली

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