गरीबों में ईश्वर जिसने खोजा है

असल में वहीं करतार रहता है

योजनाओं का लाभ मिले उन्हें

जो असल में हकदार रहता है

मेरे शहर में डेंगू ने पैर पसारे है

हर कोई अब  बीमार रहता है

घरों में अपनत्व नहीं रहा जबसे

हर कोई यहाँ  लाचार रहता है

करूँ किस तरह प्यार की बातें

करना जिसमें इजहार रहता है

मतलब परस्ती में जो जीते यहाँ

मेरी नज़र में धिक्कार रहता है

वतन की खा राग दुश्मन के गाते

वो शख्स अक्सर गद्दार रहता है

पाक तेरी हरकत घिनोनी होती है

तेरे भीतर छुपा मक्कार रहता है

बुजुर्गों की जहां खिदमत होती है

“पुरोहित “वही  परिवार रहता है।

 

कवि राजेश पुरोहित
भवानीमंडी

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *