- कंक्रीट के जंगल
आइए मैं लू चलूं आपको
कंक्रीट के जंगल में
जहां आप महसूस करेंगे
भौतिकता के ताप को
मानवता नैतिकता दया-करुणा
यहां बैठो रहे मानवीय मूल्यों के
अवमूल्यन की कहानी कुछ कर रहे
मैक्डाॅवेल की बोतल में
मनीप्लांट है मुस्करा रहा
पास में खड़ा हुआ
नीम का पेड़ काटा जा रहा
ताजी हवा को झोंका
जहां मैं सिमटा जा रहा
पास में खड़ा हुआ
एयर कंडीशनर गुर्रा रहा
है हवेली बड़ी-सी
पर वीरान है
बूढ़े-बूढ़ियों को सांसों से
यह केवल आबाद है
आगंतुक ने मालिक से पूछा
पड़ोसी का क्या नाम है
वह झल्लाया फिर बुदबुदाया
मेरा उनसे क्या काम है
इस अनोख्उो जंगल में
प्राणवायु है केवल मनी
यदि मनी है तो सब कुछ
है यहां फनी-फनी
2. तुम्हारे प्यार की बातें
तुम्हारे प्यार की बातें
मुझे अक्सर रूलाती हैं
तुम्हारे साथ की यादें
सपनों में सताती हैं
मैं बातें दिल की ये तुमसे
बार-बार कहता हूँ
मैं तुमसे प्यार करता था
मैं तुमसे प्यार करता हूँ।
वफा के इन तरानों को
मैं यूं ही गुनगुनाऊंगा
छुपाकर गमों के आंसू
मैं यूं ही मुस्कुराऊंगा।
निकलोगी जिधर से तुम
मैं नजरों को बिछाऊँगा
तुम्हारे याद के सपने
मैं आंखों में सजाऊंगा।
मैं दिल की इस हकीकत का
बार-बार बयान करता हूं
मैं तुमसे प्यार करता था
मैं तुमसे प्यार करता हूँ।
3. सृष्टि का सुन्दरतम अध्याय हैं बेटियां
किसी कवित की सुन्दर
रचनाएं हैं बेटियां
अभिव्यक्ति हैं, अनुभूति हैं
आशाएं हैं बेटियां
गीता का संदेश और
कुरान हदीस की आयतें
हैं बेटियां
रामायण की चैपाइयां
और ईद की सेवइयां
हैं बेटियां
आंखों का नूर और
गजरे का फूल हैं बेटियां
बेला की सुगंध और
पीपल की छांव हैं बेटियां
आशा है विश्वास है
सृष्टि का सबसे सुन्दर
अध्याय हैं बेटियां
नव वंदना की राग हैं
नवचेतना की द्वार हैं बेटियां
अपने दुःख सहकर
समाज को सुख देने का
पर्याय हैं बेटियां
सूरज की पहली किरण
और चांद का आफताब
हैं बेटियां
शक्तिस्वरूपा जगत्जननी
मातरूपा बेमिसाल हैं बेटियां
तो बेटियों का तुम सम्मान करो
कभी न तुम इनका अपमान करो
उन्हें तुम इस धरा पर आने दो
सृष्टि को नई रोशनी दिखाने दो
वे वंदना की नई राग बन
तुम्हारी पीड़ा को हर लेंगी
वह चेतना की द्वार बनकर
नए अध्याय नव विकास
का सुजन करेंगी
बन जाएगी लोरी-गजल-गीत
तुम्हारे जीवन का
तुम्हें भटके पथ से
सम्ळालकर तुम्हारा पूर्ण
विकास करेंगी
तो हे भटके मानव तुम
अब सम्हल जाओ
बेटियां बुलाओ और
बेटियां बढ़ाओ
नवनिर्माण नवविकास की
प्रस्तावना बन जा
4. कविता मेरे लिए
मेरी मृत्यु के पश्चात्
मेरी कविताएं
तुम्हारे पास आएंगी।
तुम्हें रूलाएंगी
तुम्हें हंसाएंगी
कुछ गीत नया सुनाएंगी।
आज तक मैं जो तुमसे
न कह सका
वह तुमसे कहकर
जाएंगी।
कैनवस पर लिखा एक-एक शब्द
स्वर बनकर बोलेगा
वेदना, दर्द और अपेक्षाओं
के अनेक पृष्ठों को खोलेगा।
उसे सहेजकर रखना
वह तुम्हारी स्मृतियों में
रच-बस जाएगा
मिलन और समर्पण के
नए द्वार खोलेगा।
देगी नए आयाम इस कहानी को
जिसकी प्रस्तावना हमने और तुमने
शुरू की थी
उसकी खूबसूरत उपसंहार बन जाएंगी।
करेंगीं नया सृजन एक
संबंधों का
भीगी मिट्टी की सौंधी खुशबू
की तरह प्रकृति में फैल जाएंगी
जीवन का एक सुंदर दर्शन बन जाएंगी।
शब्दों का एक-एक स्पर्श
तुम्हारे मन में रच-बस जाएगा
मधुर संगीत सुनाएगा।