(1)
झंझावातों से विद्रोही बनकर लड़ना सीखो,
अपने देश के लिए भक्ति तुम करना सीखो |
छोटी-छोटी बातों पर मत लड़ना सीखो,
छोटी-छोटी भूलों से तुम कुछ करना सीखो | |
हर कदम पर राह आसान बनाना सीखो,
हर डगर पर बढों का सम्मान करना सीखो |
जब भी देशद्रोही बने कोई उससे तुम लड़ना सीखो,
झंझावातों से विद्रोही बनकर लड़ना सीखो ||
(2)
जब दुनिया वाले बेजान बनने लगे,
शमशान से सभी घर लगने लगे |
मन में स्वार्थ भाव तो बढ़ गया ,
दोस्तों की कथन भी अब बदलने लगे ||
फूल सा गुण जिनकी आदत था,
इस दुनिया में कांटे से लगने लगे |
कश्ती सोचे मुझे किनारा कब मिले,
आज पतवार के मन बदलने लगे ||