(1)

झंझावातों  से विद्रोही बनकर लड़ना सीखो,

अपने देश के लिए भक्ति तुम करना सीखो |

छोटी-छोटी बातों पर मत लड़ना सीखो,

छोटी-छोटी भूलों से तुम कुछ करना सीखो | |

 

हर कदम पर राह आसान बनाना सीखो,

हर डगर पर बढों का सम्मान  करना सीखो |

जब भी देशद्रोही बने कोई  उससे तुम लड़ना सीखो,

झंझावातों  से विद्रोही बनकर लड़ना सीखो ||

 

(2)

जब दुनिया वाले बेजान बनने  लगे,

शमशान से सभी घर लगने लगे |

मन में स्वार्थ भाव तो  बढ़ गया ,

दोस्तों की कथन  भी  अब बदलने लगे ||

 फूल सा गुण जिनकी आदत था,

 इस दुनिया में कांटे से लगने लगे |

कश्ती सोचे मुझे किनारा कब मिले,

 आज पतवार के  मन बदलने लगे ||

हेमन्त कुमार बिनवाल
शोधार्थी
कुमाँऊ विश्वविद्यालय

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