पढ़ता रहूँगा तेरा चेहरा (कहानी)-गोपाल निर्दोश

बाप तो उसे उसकी माँ की गोद में ही छोड़कर जाने किस जादूगरनी के साथ कहीं लापता हो गया था। एक माँ का ही सहारा था, वह भी परसों ही […]

प्रेमचंद की कहानी ईदगाह का नाट्य रूपांतरण : तेजस पुनिया  

अमीना – उम्र 50-55 साल ( पुराना घाघरा और सिर पर पुरानी सा चिथड़ा {कपड़ा}) हामिद – उम्र 5 साल  ( छोटी सी निकर और शर्ट जिसका बटन टुटा हुआ) गाँव के चार-छह बच्चे […]

राजभाषा हिंदी का स्वरूप – डॉ. ममता सिंगला

जिस  प्रकार मनुष्य अपने भावों एवं विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए किसी विशिष्ट भाषा का प्रयोग करता है, उसी प्रकार एक राष्ट्र भी अपने सरकारी काम-काज सम्पन्न करने के […]

नारी शक्ति – डॉ॰ मधु कौशिक

‘नारी’ शब्द सुनते ही एक विस्तृत संसार की परिकल्पना साकार होने लगती है । वह संसार जहां नारी को ‘पराया धन’ कहा गया । जहां उसे ‘ताड़ने’ की बात कही […]

‘आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के उपन्यासों में रवीन्द्रनाथ ठाकुर के विश्व-मानवतावाद के प्रभाव का अध्ययन’ – अमन कुमार

गुरुदेव’ रवीन्द्रनाथ ठाकुर सम्पूर्ण विश्व के सर्वश्रेष्ठ मूर्धन्य विद्वानों, साहित्यकारों- दार्शनिकों, संगीतकारों एवं कलाकारों में हैं। उनकी प्रतिभा बहुमुखी थी। सारे संसार में उनका सम्मान है। ‘भारतवर्ष जिन दिनों राजनीतिक […]

धर्म और क्म्यूनिज्म – मोहसिना खातून

दर्शन की भाषा में कहें तो सचमुच में सब कुछ परिवर्तनशील है। यहाँ तक कि अपनी विचारधारा से नाभिनाल बद्ध और इसी नाते कट्टर कहे जाने वाले कम्यूनिस्ट पार्टियों के […]

नारी-चेतना के विविध आयाम – ज्योति

आदिवासी विमर्श, दलित विमर्श और नारी विमर्श ने साहित्य को समझने की केवल नई दृष्टि प्रदान नहीं की, बल्कि उसमें नये जीवन आदर्श भी प्रतिस्थापित किए। नारी विमर्श एक ऐसा […]

डायन बताने के पीछे षड्यंत्र : संतोष शर्मा

डायन के संदेह में तिन की हत्या मामला : अदालत ने सात को सुनायी फांसी की सजा कोलकाता,  पश्चिम मेदिनीपुर, सोमवार 16  मई 2016 :    डायन के संदेह में तीन आदिवासी महिलाओं […]

सुभद्राकुमारी चौहान के काव्य में राष्ट्रीय चेतना – निधि मिश्रा

राष्ट्र के प्रति प्रेम भावना ही ‘राष्ट्रीय भावना’ या ‘राष्ट्रीयता’ कही जाती है। राष्ट्रीयता या राष्ट्रीय भावना जब तक राष्ट्रीय चेतना नहीं बनती तब तक उसमें सम्पूर्णता निर्धारित नहीं होती […]