बदलते लोग दीवारों की दरारों से लोग हालात भांपने लगे, आँखो में दिखती लाली से लोग जज्बात मापने लगे, खुल कर मुस्कुराया जब कोई, तब लोग उसकी मुस्कुराहट के पीछे […]
राकेशधर द्विवेदी की कविताएं
कंक्रीट के जंगल आइए मैं लू चलूं आपको कंक्रीट के जंगल में जहां आप महसूस करेंगे भौतिकता के ताप को मानवता नैतिकता दया-करुणा यहां बैठो रहे मानवीय मूल्यों के अवमूल्यन […]
मोक्ष (कहानी) – राजेश कमल
“बिशेश्वर| ऐ भाई बिशेश्वर! कौना सोच में डूबे हो भैया?” “कुछ नहीं |” अनमने से बिशेश्वर ने बात टाल दी। “चाह पियोगे?” जरनैल सिंह ने बात पलट दी| बिशेश्वर ने […]
ग्लानि – सविता मिश्रा ‘अक्षजा’
“अच्छा हुआ बेटा जो तू आ गया | तेरे बाबा तेरे घर से जब से लौटे है गुमसुम रहते हैं| क्या हुआ ऐसा वहाँ?” “कुछ नहीं अम्मा!” “कुछ तो हुआ […]
त्राहिमाम हूजूर (कहानी) – समीर कुमार
राज के समय के जिलों की भौगोलिक सीमाएं आज के दौर के मण्डलों या प्रमंडलों से भी अधिक फैली थीं और जिला मजिस्ट्रेट का पद मूल रूप से अंग्रेजी के […]
पूर्णिमा वत्स की कविताएँ
व्यर्थ –व्यथा कितने व्यर्थ रहे तुम जीवन खुद को भी न पुकार सके? 2. दुख किसी विशाल बरगद सा सिरहाने उगा है दुख उसे कहाँ लगाऊं कि कुछ कम […]
कल्याणी ( कहानी ) – तेजस पूनिया
दुःख सुख का ये संगम है… मेरा गम कितना कम है… लोगों का ग़म देखा तो… पास से गुजर रहे ऑटो रिक्शा में यह गाना बज रहा था और मैं […]
अपने स्वत्व को खोजती नारी: ‘दिलोदानिश’ के संदर्भ में – लक्ष्मी विश्नोई
स्वातंत्रयोत्तर हिंदी कथा साहित्य की अभिवृद्धि में जिन महिला कथाकारों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है उनमें कृष्णा सोबती का नाम कोई नया नहीं है। नारी की धीरे-धीरे बदलती जीवन दृष्टि, […]
स्कन्दगुप्तः राष्ट्रीय चेतना का जीवन्त दस्तावेज – ज्ञानेन्द्र प्रताप सिंह
साहित्य मानवीय सृष्टि है, अतः वह सोद्देश्य और मनुष्यता के प्रति उत्तरदायी होती है। जयशंकर प्रसाद की रचनाओं का अध्ययन करने पर हम पाते हैं कि उनकी अभिरूचि इतिहास के […]
डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर और ‘हिंदू कोड बिल’ – कुसुम संतोष विश्वकर्मा
डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर एक क्रन्तिकारी चेतना के युग पुरुष थे| उनकी दूर दृष्टि ने बहुत पहले ही स्त्री शक्ति को पहचान लिया था| उनको इस बात का ज्ञान था […]