फणीश्वरनाथ रेणु हिंदी साहित्य के प्रमुख आँचलिक उपन्यासकार माने जाते हैं | रेणु ने अपने कथासाहित्य में मानवीय सम्बन्धो को केंद्र में रखकर साहित्य की रचना की है | उन्होंने […]
पूस की रात ( हल्कू के बहाने भारतीय किसानों पर एक नज़र ) – बी. डी. मानिकपुरी
हिन्दी साहित्य की विविध विधाओं में कहानी विधा का अपना विशिष्ट स्थान है । आधुनिक काल ही नहीं प्राचीन काल से हमें पुराणों तथा जातक कथाओं के माध्यम से कहानी […]
प्रेमचंद के उपन्यासों में नारी की वास्तविक स्थिति – डॉ. अनीता
प्रेमचंद जी को हिंदी उपन्यासकारों में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त है|उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से हिंदी साहित्य में अपनी विलक्षण प्रतिभा का परिचय देते हुए समाज में फैली कुरीतियों पर […]
प्रेमचंद की कहानियां : आदर्श और यथार्थ – डॉ. अरुणा चौधरी
आधुनिक हिंदी के साहित्यकारों में प्रेमचंद एक वैश्विक साहित्यकार हैं। वे 1916 से 1936 तक अर्थात 20 वर्षों तक कथा साहित्य की संरचना में लगे रहे। साहित्य के माध्यम से […]
मुंशी प्रेमचंद के साहित्य में नारी के विविध रूप एवं समस्याएं – डॉ.मयूरी मिश्रा
साहित्य जगत में भी नारी की स्थिति अच्छी नहीं थी। आदिकाल हो, भक्तिकाल हो या रीतिकाल प्राय: नारी के जो चित्र उभरकर सामने आते हैं, उससे यह स्पष्ट होता है […]
“गोदान” उपन्यास में अभिव्यक्त स्त्री समस्या – डाॅ. मेरी जमातिया
प्रेमचंद का जन्म बनारस के निकट लमही गांव में हुआ था। बचपन से ही प्रेमचंद को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। आठ साल की आयु में ही उनकी मां […]
प्रेमचंदवादी साहित्य का आदित्य प्रेमचंद – डॉ.पंढरीनाथ शिवदास पाटिल
संसार के सार्वभाषिक साहित्य संसार में जो इने – गिने सुप्रसिद्ध महान साहित्यकार हैं | उनमें हिन्दी साहित्य के कलम के जादूगर प्रेमचंद जी का नाम बड़े ही आदर और […]
कृषक के जीवन-संघर्ष की महागाथा: गोदान – डॉ. राधा भारद्वाज
प्रेमचन्द का ‘गोदान’ अवध के एक गरीब किसान का इतिहास है। उन्होंने अपने इस उपन्यास में इस प्रकार के मानव चरित्र के चित्र उपस्थित किए हैं जिनसे साहित्य इतिहास न […]
गोदान उपन्यास में चित्रित भारतीय कृषक समाज – राखी
प्रेमचंद की कोई भी कृति पढ़ने के बाद सबसे सहज प्रश्न तो यही उठता है कि कब लिखी गई थी। अधिकतर आलोचकों ने इसी प्रश्न को पूछा है। वे इस […]
प्रेमचंद के उपन्यासों में स्त्री विमर्श : एक अध्ययन – सीमा सिंह
प्रस्तावना– प्रेमचंद और उनका साहित्य हमारी संस्कृति की धरोहर है। प्रेमचंद ने अपने लेखनी में बड़ी ही सूक्ष्म दृष्टि नारी की व्यथा पर केंद्रित की है। इस आलेख में प्रेमचंद […]