समकालीन हिंदी कथा साहित्य में जहाँ एक और फणीश्वर नाथ रेणु कथाकार के रूप में स्थापित हैं| वहीं उनके द्वारा लिखे गए संस्मरण और रिपोर्ताज का भी महत्वपूर्ण स्थान है। […]
दुर्लभ जीवन्तता की त्रासदी (पहलवान की ढोलक) – राम विनय शर्मा
फणीश्वरनाथ रेणु की एक उल्लेखनीय कहानी है ‘पहलवान की ढोलक’। इसमें लेखक ने ढोलक को एक वाद्य यन्त्र के रूप में नहीं, जीवन्तता का प्रतीक बनाकर प्रस्तुत किया है। एक […]
फणीश्वर नाथ रेणु की साहित्य साधना – निधी झा
फणीश्वर नाथ रेणु हिन्दी साहित्य के उन महान कथाकारों में से एक हैं, जिनका साहित्य उनके समय तो प्रासंगिक था ही परंतु समय के साथ- साथ उनके साहित्य की महत्वता […]
राकेश धर द्विवेदी की कविताएं
1. सुनो नकाबपोश चारों तरफ दिख रहे हैं दुनिया में नकाब लगाए लोग आपसे मिलने, बतियाने से हाथ मिलाने से घबराते हुए जल्दी से किनारे से निकलकर मुँह छिपा कर […]
महावीर सिंह रावत की कविताएं
1. घर जलता रहा और वे ज़िद पर अड़े रहे, संभाल ना सके चार मित्र भी, और वे अनजान भीड़ में पड़े रहे, बड़ा गुमान था हमें इस बात का […]
बलजीत सिंह बेनाम जी की ग़ज़ल
किया जिसने तुझसे किनारा बहुत है मोहब्बत यक़ीनन वो करता बहुत है हँसी में उड़ा कर ज़माने की बातें तेरा नाम लिख कर मिटाया बहुत है चलो चंद जुगनू ही […]
कुम्भनगरी का काशी में तर्पण (कहानी) – डॉ.मधुलिका बेन पटेल
सात साल …? क्या मैंने सात साल बिता दिए…उफ़ …बड़ी बेवकूफ हूँ मैं …बेवकूफ ही नहीं पागल भी हूँ| दुनियां की सबसे बड़ी पागल| सही कहती हैं मेरी फ्रेंड्स…हूँ भी […]
प्रतिभा कुमारी की कविताएं
सिंधु किनारे, दूर क्षितिज को निहारते सिंधु किनारे, दूर क्षितिज को निहारते, अरुणिमा से परावर्तित जल को देखते, प्रकृति की रचना को आत्मसात करते, परंतु आँखें तो बस तुम्हारे नैनों […]
अन्तर्द्वन्द – मीनाक्षी
सुबह के सात बजे थे। रोजाना की तरह सीमा रसोईघर में नाश्ता बना रही थी। तभी अनीता ने आकर पूछा – भाभी नाश्ता बन गया क्या? हां बस अभी देती […]
पुरखउत ( कविता )- डॉ. प्रेमकुमार पाण्डेय
मकान के चौहद्दी के ठीक सामने गंभीर मुद्रा में बैठे पुरखउत नीब दादा साक्षी हैं बसते- उजड़ते गांव,पाही और जीवन की सांस के । कभी पुरवट खींचकर थके-हरे पछाहीं […]