अनुक्रमणिका संपादकीय डॉ. आलोक रंजन पाण्डेय बातों – बातों में हिंदी पढ़ाते हुए मैं मातृभूमि के प्रति कर्तव्य का निर्वहन कर रही हूँ : हंसादीप (कनाडा की हिंदी कथाकार हंसादीप […]
संपादकीय
हिंदी साहित्य में महिलाओं के लेखन की शुरुआत की बात जब भी आती है तो हम सबसे प्रचलित नाम जिसने स्वयं को कृष्ण प्रेम में डुबा दिया, उसका नाम लेते हैं […]
हिंदी पढ़ाते हुए मैं मातृभूमि के प्रति कर्तव्य का निर्वहन कर रही हूँ : हंसादीप (कनाडा की हिंदी कथाकार हंसादीप से बातचीत) – डॉ. दीपक पाण्डेय
हंसादीप जी कनाडा के यूनिवर्सिटी ऑफ़ टोरंटो में हिंदी अध्यापन से जुडी हैं। आज हिंदी जगत में हंसादीप जी का सृजनात्मक हिंदी लेखन विशेष रूप से पहचान बना रहा है। […]
संवेदनशील महाकवयित्री : महादेवी वर्मा – डॉ. ममता देवी यादव
जीवन के करुणभाव को अभिव्यक्त करने वाली, रचनाओं में संवेदनशीलता को अमूल्यभूत आधार देने वाली कवित्री महादेवी वर्मा के नाम से जाना जाता है |महादेवी वर्मा छायावादी कवित्री के रूप […]
महादेवी का नारी विषयक दृष्टिकोंण – डाॅ. क्षमा सिसोदिया उज्जैनी
महादेवी वर्मा छायावाद की प्रमुख कवियित्री थीं। रहस्यवादी चिन्तन की प्रधानता के कारण महादेवी का नारी चित्रण अनुभूति प्ररक हो गया है।उन्होंने नारी के मातृत्व,करूणा और आत्मसमर्पण की भावना को […]
महादेवी वर्मा के काव्य की विशेषताएं – प्रा. डॉ. विष्णु गोविंदराव राठोड
महादेवी वर्मा छायावाद की कवयीत्री है । उनके के काव्य में रहस्यवाद दिखाई देता है इसलिए महादेवी वर्मा को आधुनिक मीरा कहा जाता है । अतः उनके काव्य में आत्मा […]
महादेवी वर्मा के काव्य में संवेदना – डॉ. भगत गोकुल महादेव
महादेवी वर्मा छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती है निराला ने हिंदी के विशाल मंदिर की सरस्वती की कहां है छायावाद के कवियों ने अपने […]
महादेवी वर्मा : असाधारण काव्य में साधारणीकरण – डॉ. मनीष कुमार जैन
समय बदला, परिस्थितियाँ बदलीं, विमर्श बदले, किन्तु साधरणीकरण का महत्व कम नहीं हुआ। साधरणीकरण की अवधारणा किसी-न-किसी रूप में अखिल विश्व की साहित्यिक परंपराओं में विद्यमान रही। शब्दों व प्रस्तुतीकरण […]
महादेवी वर्मा का काव्य शिल्प – डॉ. संतोष कुमार पांडेय
शिल्प शब्द का अर्थ है निर्माण अथवा बनावट। साहित्य के संदर्भ में किसी रचना के निर्माण अथवा उसकी बनावट में जिस जिस सामग्री का उपयोग होता है उसे शिल्प के […]
एक नज़र महादेवी वर्मा पर – डॉ. सौ. तेजल मेहता
हिंदी साहित्य जगत आदिकाल से आधुनिक काल तक कई ‘वादो’ में फैला है किंतु जिस काल में भावुकता ,कल्पना ,मुक्ति की कामना ,रूढ़ियों के प्रति विद्रोह ,नवीन मूल्यों की स्थापना […]