महादेवी वर्मा छायावाद की महत्वपूर्ण हस्ताक्षर रही हैं। जिन्होंने अपने विशिष्ट सृजन के माध्यम से अनुभूति का सूक्ष्म चित्रण किया है। उनका लेखन दार्शनिक गंभीरता के साथ-साथ करूणा और प्रेम […]
महादेवी वर्मा की गद्य शैली – डॉ. प्रीतम सिंह शर्मा
उन्नीसवीं शताब्दी में हिन्दी गद्य का समुचित विकास हुआ। उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में भारतेंदु काल में हिन्दी गद्य ने व्यवस्थित रूप धारण किया। हिन्दी साहित्य में सामान्यतः गद्य के […]
महादेवी वर्मा के काव्य में विरहानुभूति – डॉ. गरिमा जैन
प्रत्येक भाषा के साहित्य में कुछ ऐसी कालजयी रचनाएं एवं रचनाकार होते हैं जो अपनी विषयवस्तु और वर्णन शैली के कारण न केवल जन मानस को प्रभावित करते हैं बल्कि […]
महादेवी वर्मा के साहित्य में महिला सशक्तिकरण के सांस्कृतिक आयाम – बुद्धिराम
हिन्दी साहित्य के ऐतिहासिक काल विभाजन में छायावाद का विशिष्ट स्थान है, जिसके प्रमुख स्तम्भों में भी महादेवी वर्मा का विशिष्ट व दोहरा महत्वपूर्ण स्थान है। प्रथमतः जहाँ वे प्रसाद, […]
महादेवी वर्मा के गद्य साहित्य में नारी विमर्श – डाॅ. दीपक विनायकराव पवार
हिंदी साहित्य के छायावाद युग की प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित कवयित्री महादेवी वर्मा की गद्य एवं पद्य की रचनाओं से उनके व्यक्तित्व के दो पहलू देखने को मिलते हैं। उनकी कविताओं […]
छायावाद : सौंदर्य की प्रतिछाया – डॉ. ममता सिंगला
‘सत्यं शिवं सुंदरं’ का भाव आदिकाल से भारतीय साहित्य का प्राण तत्व रहा है। इसमें से सौंदर्य का संबंध सत्य और शिव दोनों से माना गया है क्योंकि जो शिव […]
‘हयवदन’ : अस्मिता की खोज – डॉ. अनुपमा श्रीवास्तव
जीवन सदैव से ही आकांक्षाओं, उनकी पूर्ति के लिए होने वाली जद्दोजहद और उनके न पूरे होने से उत्पन्न होने वाले अभावों की आती-जाती लहरों का अथाह सागर है | […]
अमीर ख़ुसरो के काव्य में लोक-जीवन – डॉ. संगीता राय
ख़ुसरो भारतीयता के रंग में रंगे कवि थे। उन्हें भारत की मिट्टी से प्यार था। वो यहाँ के फल-फूल, नदी-तालाब, रीति-रिवाज और परम्परा से प्रभावित थे। यहाँ के परिवेश में […]
उजली आग – संस्कृति,धर्म, दर्शन का बोध – डॉ.गगन कुमारी हळवार
प्रस्तावना- ’उजली आग ’ राष्ट्रकवि रामाधारी सिंह ’ दिनकर ’ द्वारा रचित एक अनोखी और अद्वितीय कृति है जिसमें बोध कथाओं का संकलन है । ये कथाएँ मानव जीवन की […]
हिंदी सिनेमा के गीतों में अभिव्यक्त आपदा का स्वरूप – डॉ. सीमा शर्मा
शोध सार: आपदा अनपेक्षित घटित होने वाली विध्वंसक घटना है। इसका प्रभाव मानवीय, भौतिक, सामाजिक और वाणिज्यिक सभी पर पड़ता है। वर्तमान समय में हम सभी वैश्विक महामारी कोविड-19 से […]