तुलसी साहित्य में केवल रामकथाओं एवं रामस्तुति, ही प्रमुख है। सर्वाधिक प्रचलित रामचरितमानस के अतिरिक्त तुलसी साहित्य में विनय पत्रिका, गीतावली एवं दोहावली ही जनसाधारण के प्रचलन में है। शेष […]
सगुनहि अगुनहि नहिं कछु भेदा : कबीर और तुलसी के -पिंकी कुमारी
‘रमंति इति रामः’; जो रोम रोम में रम रहा है और समूचे ब्रह्मांड में व्याप्त है; वही राम है। अमरकोश में ‘राम का एक अर्थ मनोज्ञ: भी किया गया है’[1] […]
संस्कृत साहित्य में राम – डॉ. रेणु गुप्ता
राम शब्द का उच्चारण होते ही एक बिम्ब सामने उभर आता है । एक धनुर्धारी, सौम्य मनमोहक मुस्कान लिए अद्वितीय रूप । एक ऐसा चरित्र जो मर्यादा पुरुषोत्तम है, लोकमंगलकारी […]
निराला के साहित्य में राम – डॉ. सरोज पाटिल
सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला जी हिन्दी साहित्य के दैदीप्यमान नक्षत्र हैं, उन्होंने अपनी प्रत्येक रचना में अपनी नवोन्मेषशालिनी प्रतिभा का परिचय दिया है। निराला जी का रचनाकाल सामान्यतः 1916 से 1960 […]
तुलसीदास के काव्य में आधुनिकता – अनुराग सिंह
जिसे हम साहित्य समझकर पढ़ रहे हैं, जिसमें हम तमाम साहित्यिक अवधारणाएँ खोजते हुए फिरते हैं, जो साहित्य जगत में एवं साहित्य के सजग पाठकों के लिए एक उत्कृष्ट रचना […]
संशय की एक रात के राम – उज्ज्वल शुक्ला
वाल्मीकि के द्वारा रामायण लिखने के बाद से हर युग में राम को तथा रामकथा को अपने अनुसार आख्यायित करने का काम कवियों ने किया है । बौद्ध काल में […]
वैश्विक साहित्य में राम – सिद्धेश्वर काश्यप
श्रीराम की वैश्विक सत्ता है। राम का चरित्र मानवीय अस्मिता एवं स्वत्व-बोध से संपृक्त है। राम सौंदर्य के आगार, शील की प्रतिमा और शक्ति के प्रतीक है। राम मर्यादा पुरूषोत्तम […]
भारतीय संस्कृति का अनूदित रूप : रामकथाएं – प्रियंका
शोध सार: सभ्यता की शुरुआत से ही रामकथा हमारे जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग रही है। भारत में रामकथा का मैखिक एवं लौकिक स्वरूप निरंतर बदलता रहा है। भारत की भिन्न […]
भारतीय सामाजिक-सांस्कृतिक संकट और रामकथा – शैलेंद्र कुमार सिंह
रामकथा अपने आप में सांस्कृतिक समन्वय की विराट चेष्टा धारण किए हुए है। राम का अलग-अलग दिशाओं में प्रस्थान और संबधित समस्याओं का समाधान धीरे-धीरे उन दिशाओं में राम नाम […]
पूर्वोत्तर भारत के समाज,साहित्य एवं संस्कृति में राम (असमिया भाषा के विशेष सन्दर्भ में) – अजय कुमार
भारतीय समाज, साहित्य और संस्कृति में राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं| राम का शील चरित्र इतना लोकप्रिय है की भारतीय भाषाओं में ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर एक विशाल साहित्य […]