सूचना प्रौ़द्योगिकी के युग में तकनीकी समृद्धि मानव समाजिक सभ्यता के विकास का परिचायक है। सभ्यता का विकास आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक बदलाव को दर्शाता है। मीडिया का नवीन रूप सोशल मीडिया की आम तौर पर सार्वभौमिक स्वीकारोक्ति ही इस खोज की सार्थकता को दर्शाता है। विश्व के एक कोने से दूसरे कोने तक संवाद की प्रक्रिया को संचार क्रांति ने अत्यंत सरल कर दिया है। कम्प्यूटर के माध्यम से चलने वाले इस संवाद को इंटरनेट कहा जाता है। विश्व का पहला इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर 1945 में अमेरिका की बैलेस्टिक रिसर्च लेबोरेट्रीज के पेनसिलवानिया विश्वविद्यालय के मूर स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में बनाया गया था। इस कम्प्यूटर को इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटर एंड कैलकुलेटर अर्थात एन आक नाम दिया गया। यह एक सेकेंड में 5 हजार गणनायें कर सकता था। 1980 के बाद तकनीकी रूप से अत्यंत विकसित कम्प्यूटर आए जिन्हें सुपर कम्प्यूटर कहा गया। 1962 में मैसाचुसेट्स तकनीकी संस्थान के जेसीआर लिकप्लाइडर के लेखों में इंटरनेट की संभावनायें प्रकट हुई। 1966 में पहला कम्प्यूटर नेटवर्क आरपा नेटवर्क के नाम से अमेरिका में विकसित किया गया। इंटरनेट की शुरूआत करने का श्रेय अमेरिकी रक्षा विभाग को जाता है जिसने एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी के माध्यम से टेलीफोन लाइन के प्रयोग से 1969 में पैकेट स्विच्ड नेटवर्क स्थापित किया। भारत में पहला कम्प्यूटर 1956 को भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसआई) कलकत्ता शाखा में लगाया गया और इंटरनेट की शुरूआत शिक्षा और अनुसंधान नेटवर्क के रूप में 1980 के लगभग हुई थी। प्रारंभ में यह सीमित संसाधनों और कम्प्यूटर प्रशिक्षितों की कमी के कारण भी अधिक गति से आम लोगों तक नहीं पहुंच सका। भारत का विदेश संचार निगम लिमिटेड ने आम लोगों के लिए इंटरनेट की सुविधा 15 अगस्त 1995 से उपलब्ध करवाई। कम्प्यूटर व इंटरनेट के अलावा पेजर, फैक्स, मोबाइल फोन इत्यादि संचार के माध्यमों का प्रयोग बढ़ा जिसे इंटरैक्टिव मीडिया कहा गया। भारत में मल्टीमीडिया के क्षेत्र में एनिमेशन इंडस्ट्री सबसे ज्यादा तेजी से उभरते क्षेत्रों में एक मानी जा रही है।
सोशल मीडिया की अवधारणा और विस्तार
धरती पर एक नये राष्ट्र का उदय हुआ जिसकी कोई भौगोलिक सीमाएं नहीं है। इस राष्ट्र का अस्तित्व केवल साइबरस्पेस में है और इसे ‘सोशल मीडिया’ कहा जाता है। सोशल मीडिया का आकार डिजिटल मीडिया में विद्यमान जीवन से भी बड़ा है, ‘जो स्वयं डिजिटल कलाओं, विज्ञान प्रौद्योगिकी और मानव अभिव्यक्ति के लिए व्यापार, संचार, सामाजिक वार्तालाप और शिक्षा के रचनात्मक के रूप में परिभाषित है।’ यह एक अद्भुत माध्यम है, जिसका अनुसरण और अनुकरण विश्वभर में किया जा रहा है। यह परस्पर मानव संपर्क को एक नये रूप, एक अद्भुत माध्यम को प्रेरित करता है, जिसे सोशल मीडिया नेटवर्किंग का नाम दिया गया है। सोशल मीडिया की अवधारणा और विलक्षणता काफी जटिल और बहुआयामी है। अब जबकि यह हमारे दैनिक जीवन में गहराई से समाता रहा है तो हम इससे नजरें नहीं फेर सकते हैं । सोशल मीडिया की परिभाषा में कहा गया है कि ‘‘यह इण्टरनेट आधारित अनुप्रयोगों का ऐसा समूह है जो प्रयोक्ता जनित सामग्री के सृजन और आदान-प्रदान की अनुमति देती है।’’ आक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार, ‘‘ऐसी वेबसाइट और एप्लिकेशन जो उपभोक्ताओं को सामग्रियां तैयार करने और उसे साझा करने में समर्थ बनाये या सोशल नेटवर्किंग में हिस्सा लेने में समर्थ करें उसे सोशल मीडिया कहा जाता है।’’ वीकिपीडिया के अनुसार, ‘‘सोशल मीडिया लोगों के बीच सामाजिक विमर्श है जिसके तहत वे परोक्ष समुदाय व नेटवर्क पर सूचना तैयार करते हैं, उन्हें शेयर करते हैं या आदान-प्रदान करते हैं।’’
इस प्रकार ‘‘सोशल मीडिया या सोशल नेटवर्किंग साइट्स ऐसा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम है जिसके जरिये लोग संप्रेषण एवं सह-सृजन कर सकते हैं, उस पर विचार-विमर्श कर सकते हैं और उसका परिष्कार कर सकते हैं। यह संगठनों, समुदायों और व्यक्तियों के बीच संसार में महत्वपूर्ण और व्यापक परिवर्तनों को अंजाम देता है।’’ सूचना प्रौद्योगिकी और संचार के इस आधुनिक युग में मीडिया के तीनों स्वरूपों प्रिंट, इलेक्ट्रानिक और इंटरनेट का व्यापक विस्तार हुआ है। इंटरनेट का संचार के क्षेत्र में आने से सूचनाओं के संसार में विस्फोट सा हो गया है आज कोई भी जानकारी सिर्फ अंगुलियों के सहारे शीघ्रता से प्राप्त की जा सकती है। मीडिया अपने उद्भव काल से लगातार विकासमान है। समय-समय पर इसमें व्यापक परिवर्तन देखने को मिलते हैं। सूचनाओं को प्राप्त करने की आज की स्थिति में पूरी तरह से परिवर्तन तो नहीं हुआ है किंतु यह कहा जा सकता है कि अब सूचना पर विकसित देशों का एकाधिकार नहीं रहा। एक तरफा सूचना के प्रवाह को लेकर यूनेस्को द्वारा आयोजित सम्मेलन में सूचनाओं के दो तरफा प्रवाह पर बनी सहमति इसमें निश्चय ही सहभागी रहा। मैकब्राइड आयोग की सिफारिसों के कारण विकासशील देशों को सूचना लेने और देने की स्वतंत्रता मिल पायी। वैश्विक परिदृश्य में विकसित और विकासशील देशों के बीच आर्थिक असमानता भी सूचना के एक तरफा प्रवाह का कारण था। 21वीं सदी को साइबर सदी के रूप में जाना जाता है । उसमें सोशल मीडिया ने भारतीय मीडिया जगत में अपना एक अलग मुकाम बना लिया है। इंटरनेट और मोबाइल आधारित एक ऐसी तकनीक जिसके माध्यम से संस्थाओं, समुदायों और लोगों के बीच परस्पर संवाद स्थापित किया जा सके, सोशल मीडिया कहलाती है। इसको मीडिया का नया संस्करण माना जा रहा है। परंपरागत रूप में मीडिया के अंतर्गत अभी तक एक तरफा संवाद हो रहा है। हालांकि अब यहां भी पाठकों और दर्शकों के बीच दोतरफे संवाद की प्रक्रिया ने तेजी पकड़ी है। आज दुनिया में यह तकनीक कई रूपों में प्रभावशाली माध्यम के रूप में कार्य कर रही है। इंटरनेट फोरम, वेब, सोशल ब्लॉग, माइक्रोब्लॉगिंग, विकीज, सोशल नेटवर्क्स, पोडकास्ट, फोटोग्राफ या पिक्चर्स, वीडियो, रेटिंग और सोशल बुकमार्किंग जैसे इसके उदाहरण है। प्रधानम़ंत्री मोदी जी ने डिजिटल इंडिया लॉन्च की है, जिसमें 2019 तक देश के सभी गावों को जोड़ने की योजना है।
सोशल मीडिया और सूचनाएं
सोशल मीडिया पूर्णत: डिजिटल माध्यम है। यह तकनीक आधारित साझेदारी है। बिना तकनीक और उपकरण के यहां सम्प्रेषण की कल्पना भी बेमानी है। इसीलिए कहा जा सकता है कि सोशल मीडिया के लिए कम्प्युटर या मोबाईल उपकरण अनिवार्य है। दरअसल सोशल मीडिया का उपयोगकर्ता यहां अपने-अपने उपकरणों की साझेदारी करता है। वर्तमान समय में सोशल मीडिया जैसे फेसबुक और ट्विटर से संवाद का दायरा बढ़ा है। आज लोग बिना किसी हिचकिचाहट के किसी भी मसले पर अपनी राय देने में सक्षम है। मीडिया लोकतंत्र का चैथा स्तंभ है हाल ही में घटी कुछ घटनाओं ने इसके प्रति लोगों का नजरिया बदल दिया है। यह सब सोशल मीडिया के कारण हुआ है। दुनिया में इसका प्रयोग करने वाले लोगों का आंकड़ा एक अरब को पार कर गया है। यानि कहा जाए तो विश्व का प्रत्येक छठा मनुष्य मीडिया के इस नए अवतार का उपयोग कर रहा है। भारत में 2012 तक इन माध्यमों के उपयोग करने वाले लोगों की संख्या छह करोड़ ही है, लेकिन इसमें लगातार गुणात्मक रूप से बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। जानी-मानी डिजीटल मार्केटिंग एजेंसी आईक्रासिंग के एक अध्ययन के अनुसार भारत में फेसबुक का प्रयोग करने वाले लोगों की संख्या 3.6 करोड़ थी । इनमें से आधे से अधिक लोग 50 साल से कम आयु वर्ग के है। इसके अतिरिक्त माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट्स ट्विटर और लिंक्डइन का उपयोग करने वालों की संख्या देश में डेढ़-डेढ़ करोड़ है। यंत्रवत भागती दुनिया जहाँ इंसान का सारा समय नौकरी और घर के बीच तालमेल और भागदौड़ में ही निकल जाता है इंसान को इंसान से मिलने की फुर्सत ही नहीं है, उसे दुनिया से जुड़े रहने के एहसास को जिंदा रखने के लिए नया तरीका मिल गया। मोबाइल और एसएमएस तक सिमट चुका संवाद अचानक सोशल नेटवर्किंग के मंच पर खुलकर बिखर गया। व्हॉट्स एप की लोकप्रियता का भी यही कारण है। अण्णा हजारे का पूरा आंदोलन इस सोशल मीडिया के इर्ददृगिर्द घूमा। लोगों को ये भी समझ आया कि केवल अपने मोबाइल या कंप्यूटर से कमेंट करने से कुछ नहीं होगा, सड़कों पर उतरना होगा। और लोग उतरे भी। दिल्ली के निर्भया कांड में भी लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे मगर उनको सड़कों पर उतारने में भी सोशल मीडिया ने बड़ी भूमिका निभाई। चुनावों में तो सोशल मीडिया और नया मीडिया आवश्यक अंग और हथियार बन गए हैं। जो लोग कहते हैं कि आने वाला वक्त डिजिटल मीडिया का है वो जान लें कि आने वाला नहीं ये ही डिजिटल मीडिया का समय शुरू हो चुका है। यहाँ से आगे तमाम उतार-चढ़ावों के बाद भी इस सफर के बेहतर होने की ही उम्मीद है। क्योंकि यहाँ एकालाप नहीं है। बस देखना ये है कि शोर की बजाय संवाद हो।
सोशल मीडिया और अभिव्यक्ति
इसमें जनसंवाद की अभिव्यक्ति का माध्यम भाषा है। यह सच सोशल मीडिया की भाषा में काफी बदलाव देखने को मिला है। बाबूराव विष्णु पराडकर ने मीडिया की भाषा को आमजन, मजदूर व पानवाड़ी, अशिक्षित या कम शिक्षितों की भाषा बनाने पर विचार दिया था, लेकिन वे व्याकरण या शब्द रचना को बिगाड़ने नहीं देना चाहते थे। यह जरुरी है कि संवाद समस्त जन के पास पहुंचे लेकिन भाषा के साथ अन्याय न हो। यह सही है कि सोशल मीडिया की भाषा आमजन की भाषा होनी चाहिए, परन्तु आज का नया मीडिया खुद अपनी भाषा गढ़ रहा है। वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव के अनुसार, सोशल मीडिया ने सार्वजनिक अभिव्यक्ति और एक बड़े समुदाय तक बिना रोक-टोक अपनी बात पहुंचाना संभव बनाकर करोड़ों लोगों को एक नई ताकत दी है।” वरिष्ठ टीवी पत्रकार रजत शर्मा के अनुसार, “ सोशल मीडिया ने पिछले एक साल के भीतर 100 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है। यहां इनके यूजर्स की संख्या 2.5 करोड़ पहुंच चुकी है। जबकि बाहरी इलाकों में मीडिया यूजर्स की संख्या 12 करोड़ पहुंच चुकी है। लेकिन सोशल मीडिया अभी शैशव काल से गुजर रहा है, इसका प्रभाव सीमित है।” मनोरंजन के तमाम साधनों को पीछे छोड़ते हुए स्मार्टफोन पर ही आपके मन अंगुलियों के संयोग से फिल्म, गाने, नाटक, डिस्कवरी चैनल, समाचार, भोजन बनाने की विधि, ऑनलाइन शोपिंग, गेम्स, कहानियां, कवितायें, खेल और लाफ्टर शो आदि देख-सुन सकते हैं। मनोरंजन की दुनिया 5 इंच तक की स्क्रीन पर सिमट गयी है।
प्रमुख नेट्वर्किंग साइट
सामाजिक या सामुदायिक मीडिया डिजिटल मीडिया सर्वाधिक लोकप्रिय रूप है। यह लोगों को परस्परिक मंच के रूप में उपलब्ध है। सामाजिक मीडिया के कई रूप हैं जिनमें कि इन्टरनेटफोरम, वेबलॉग, सामाजिक ब्लॉग, माइक्रोब्लागिंग, विकीज, सोशल नेटवर्क, पॉडकास्ट, फोटोग्राफ, चित्र, चलचित्र आदि सभी आते हैं। वर्तमान समय में प्रमुख सामाजिक नेटवर्क मीडिया इन नामों से विख्यात है . फेसबुक, ट्विटर, लिंक्ड.इन, फ्लिकर, गूगल प्लस, माईस्पेस, वे इन्स्टाग्राम, विण्डोज़ लाइव, मॅसेञ्जर, ऑर्कुट, व्हाट्सएप्प व नेट लॉग के साथ ही यूट्यूब भी सोशल नेटवर्किंग साइट्स में गिने जाते हैं। इनके अलावा भी बाडू, बिग अड्डा, ब्लेक प्लेनेट, ब्लांक, बजनेट, क्लासमेट्स डॉट काम, कोजी कॉट, फोटो लॉग, फ्रेंडिका, हॉटलिस्ट, आईबीबो, इंडिया टाइम्स, निंग, चीन केटॅन्सॅण्ट क्यूक्यू, टॅन्सॅण्ट वेइबो, क्यूजो़न व नॅटईज़, फ़्रांस के हाब्बो, स्काइप, बीबो, वीकोण्टैक्ट सहित 100 से अधिक सोशियल नेटवर्किंग साइट भी देश-दुनिया में प्रचलित हैं।
कुछ तथ्य
600 मिलियन उपभोक्ता व्हाट्सएप पर हैं ।
500 मिलियन उपभोक्ता फेसबुक मैसेंजर पर हैं ।
468 मिलियन उपभोक्ता वीचैट पर हैं ।
100 मिलियन उपभोक्ता स्नेपचैट पर हैं।
639 मिलियन उपभोक्ता चीन के सोशल मीडिया ओजोन पर हैं।
100 मिलियन उपभोक्ता रूस के सोशल मीडिया वीकोंटके पर हैं।
3.65 बिलियन लोग स्मार्टफोन और टेबलेट के जरिए इंटरनेट का प्रयोग करते हैं।
7.2 प्रतिशत लोग भारत में इण्टरनेट पर हैं।
1.4 बिलियन लोग दुनिया मे फेसबुक उपभोक्ता हैं।
284 मिलियन लोगों के दुनिया भर में ट्वीटर एकाउण्ट हैं।
88 प्रतिशत लोग मोबाइल से ट्वीटर हैंडल चलाते हैं।
500 मिलियन लोग लगभग रोज ही ट्वीट करते हैं।
363 मिलियन दुनियाभर में गूगल प्लस के कुल उपभोक्ता हैं।
05 बिलियन हिट्स गूगल प्लस पर रोज आते हैं।
300 मिलियन कुल उपभोक्ता इंस्टाग्राम पर हैं।
70 मिलियन फोटो और विडियों इंस्टाग्राम पर रोज पोस्ट होते हैं।
53 प्रतिशत इंस्टाग्राम के उपभोक्ता 18 से 29 साल के बीच हैं।
347 मिलियन लोग लिंक्डइन पर रजिस्टर्ड हैं।
(स्त्रोत- कादम्बिनी जून 2016, वर्ष 56, अंक-08, ‘‘हमारी दुनिया और सोशल मीडिया)
संदर्भ सूची –
1. मुद्दा जहमत और जरूरत सोशल मीडिया, दैनिक जागरण।
2. मुद्दा न्यू मीडिया, दैनिक जागरण।
3. डिजिटल स्पेस में विस्फोटन, पैट्रिक एस. एल. घोष और ठाकुरता गुहा परंजय, योजना वर्ष 58, अंक-5, मई 2013, पृ॰ 9।
4. 140 अक्षर एवं अरबो जटिलताए, योजना वर्ष-58, अंक-5, मई 2013, पृ0-5।
5. सोशल मीडिया और हशिये का साहित्य, सुनीता, आजकल, प्रकाशन विभाग, जुलाई 2016, वर्ष 72, अंक-3, पृ॰ 11।
6. अब मुख्य धारा हो गया है, न्यू मीडिया, संजीव कुमार सिंहा, प्रवक्ता डॉट कॉम।
7. https://navinsamachar.wordpress.com/history-of-journalism/new-media/
8. http://www.newswriters.in/2016/02/09/what-is-social-media/
9. सोशल मीडिया और हिंदी, राहुल देव, दैनिक जागरण, 14.9.16, पेज 10।
10.चक्रव्यूह में घिरी टीवी पत्रकारिता, रजत शर्मा, साहित्य अमृत मीडिया विशेषांक, अगस्त 2015