संपादकीय
डॉ. आलोक रंजन पाण्डेय
सामाजिक जीवन के यथार्थ दृष्टा : मुंशी प्रेमचंद – डॉ. ममता देवी यादव
अँग्रेजी पन्नों का पर्दा – मनीषा अरोड़ा
समकालीन सामाजिक-सांस्कृतिक चुनौतियाँ और उदय प्रकाश – दीपक कुमार जायसवाल
प्रेमचंद की कहानियों में पारिवारिक मूल्यबोध – डॉ. रूचिरा ढींगरा
मैला आंचल – राजनीतिक परिदृश्य – महमुदा खानम
रंगभूमि: युगीन समस्याओं का जीवंत दस्तावेज़ – डॉ. सुनीता
सेवा सदन के सुमन की मानसिकता – डाॅ. मुरलीधर अच्युतराव लहाडे
प्रेमचंद की रचनाधर्मिता – डॉ. रेविता बलभीम कावळे
रेणु के मैला आँचल में स्वातंत्र्योत्तर ग्रामीण जीवन – प्रा. डॉ. अर्जुन पवार
पूस की रात ( हल्कू के बहाने भारतीय किसानों पर एक नज़र ) – बी. डी. मानिकपुरी
प्रेमचंद के उपन्यासों में नारी की वास्तविक स्थिति – डॉ. अनीता
प्रेमचंद की कहानियां : आदर्श और यथार्थ – डॉ. अरुणा चौधरी
मुंशी प्रेमचंद के साहित्य में नारी के विविध रूप एवं समस्याएं – डॉ.मयूरी मिश्रा
“गोदान” उपन्यास में अभिव्यक्त स्त्री समस्या – डाॅ. मेरी जमातिया
प्रेमचंदवादी साहित्य का आदित्य प्रेमचंद – डॉ.पंढरीनाथ शिवदास पाटिल
कृषक के जीवन-संघर्ष की महागाथा: गोदान – डॉ. राधा भारद्वाज
गोदान उपन्यास में चित्रित भारतीय कृषक समाज – राखी
प्रेमचंद के उपन्यासों में स्त्री विमर्श : एक अध्ययन – सीमा सिंह
फणीश्वरनाथ रेणु के रिपोर्ताज में अंचल का यर्थाथ रूप – प्रियंका कुमारी
दुर्लभ जीवन्तता की त्रासदी (पहलवान की ढोलक) – राम विनय शर्मा
फणीश्वर नाथ रेणु की साहित्य साधना – निधी झा
कुम्भनगरी का काशी में तर्पण (कहानी) – डॉ.मधुलिका बेन पटेल
पुरखउत ( कविता )- डॉ. प्रेमकुमार पाण्डेय
प्रेमचंद ( कविता ) – प्रीति कुमारी
रात का सन्नाटा (कविता) – सारिका ठाकुर
क्या अब गौरैयों की फ़िक्र नहीं – डॉ.अनुपमा श्रीवास्तव
मेरा सपना ( कविता ) – ज्योति रावत
घर (कोरोना काल पर केन्द्रित लघुकथा) – बिद्या दास
समाज की उन्नति का पर्याय है स्त्री – डॉ० दीपा ‘दीप’
मलयालम के श्रेष्ठ कवि श्रीकुमारन तम्पि के कविताओं का अनुवाद – डॉ. प्रिया ए.
सॉफ्ट कॉर्नर ( कहानी संग्रह, राम नगीना मौर्य ) – भोलानाथ कुशवाहा