प्रेमचंद जी को हिंदी  उपन्यासकारों में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त है|उन्होंने  अपनी रचनाओं के माध्यम से हिंदी साहित्य में अपनी विलक्षण  प्रतिभा का परिचय देते हुए  समाज में फैली कुरीतियों पर प्रकाश  डाला है और उन समस्याओं का हल करने का प्रयास भी किया है| इस तरीके से उन्होंने प्रगतिशील होने का परिचय दिया है| वे नारी शिक्षा के पास कर रहे थे नारी की स्थिति को सुधारने के लिए समाज में उन्होंने महत्वपूर्ण प्रयास किए| मुंशी प्रेमचंद ने अपना सारा जीवन समाज सुधार व जनकल्याण के लिए समर्पित कर दिया| उन्होंने समाज के शिक्षित आदमी औरतों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहने की शिक्षा दी| प्रेमचंद जी ने समाज में जो भी किया वह सब यथार्थ के धरातल पर किया |वे कहते हैं कि शिक्षा समाज और व्यक्ति की उन्नति के लिए बहुत अधिक जरूरी है |शिक्षा ही व्यक्ति की आंतरिक शक्ति को बाहर निकालती है और उसका विकास करती है| शिक्षा व्यक्ति के जीवन को सभ्य बनाती है|

                                 शिक्षा ही व्यक्ति को चेतना प्रदान करती है कि वह विभिन्न  दृष्टिकोणों में से उसका ही चुनाव करें जिसमें व्यक्तिगत एवं सामाजिक रूप से सर्वाधिक जनहित का कल्याण हो | उपन्यासकार प्रेमचंद शिक्षा को व्यक्ति के व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास मानते हैं |उन्होंने अपने उपन्यासों में शिक्षा के महत्व को स्पष्ट करने का सफल प्रयास किया है| आज का शिक्षा के बिना कोई भी जाति,समाज और देश प्रगति के रास्ते पर आगे नहीं बढ़  सकता | व्यक्ति के सामाजिक नैतिक चरित्र के निर्माण में जो शिक्षा सहायक हो प्रेमचंद जी ऐसी शिक्षा के समर्थक हैं | उपन्यासकार प्रेमचंद ने अपने उपन्यासों में नारी शिक्षा के महत्व पर भी बल दिया है |शिक्षा के बिना नारी का जीवन अंधकारमय हैअगर नारीअनपढ़ होगी तो अपने अधिकारों  उत्तरदायित्व उसका पालन करने में अपने आप को असमर्थ पाती है

ऐसी शिक्षा जो भारतीयता को खोकर प्राप्त हो इसके पक्ष में भी नहीं थे| गोदान उपन्यास में प्रेमचंद ने मिस मालती के चित्रण के माध्यम से इसी तथ्य को उजागर किया है कि आप इंग्लैंड से डॉक्टरी पढ़ आईऔर प्रैक्टिस करती हैं |आप नवयुग की साक्षात प्रतिमा है फोन के अंदर संकोची झिझक का नाम मात्र भी नहीं था पुरुष मनोविज्ञान कीअच्छी जानकारी रखने  वाली| नारी की शिक्षा पर पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव नहीं चाहते|प्रेमचंद जी ने अपने साहित्य  जीवन में नारी को भेद के  गर्त से निकालने की कोशिश की है वह नारी और पुरुषों को दोनों को समान बताया हैऔर दोनों कोअपनी सभ्यता और संस्कृति की मान मर्यादा का पालन की याद दिलाते हैं | नारी के लिए बड़ी सच्ची और अच्छी बात लिखते हैं स्त्री पुरुष से उतने ही श्रेष्ठ हैं जितना प्रकाश  अंधेरे से मैं कहता हूं उसका सारा अध्यात्म और योग एक तरफ और नारियों का त्याग एक तरफ|’’1

                               प्रेमचंद ने समाज में व्याप्त  जाति- प|ति तथा स्त्री- पुरुष के संबंधों पर भी दृष्टि डाली हैं जहां पर पुरुष को समाज का रक्षक व प्रतिष्ठित व्यक्ति समझता है|पुरुष अभिमान में स्वयं को ज्ञानवान ,सर्वश्रेष्ठ, अच्छे बुरे की समझ रखने वाला , घर चलाने वाला, स्त्री पर अधिकार जताते हुए मान मर्यादा का रक्षक बनकर सदैव अपने अहम में गर्वित रहता है पुरुष चाहे अपने जीवन में कितना ही खुला क्यों न हो यदि स्थिति थोड़ी सी भी स्वतंत्रता की कल्पना की चाहत रखती है तो वह  कलंकिनी बन जाती है उसका चरित्र संदेह हो जाता है’’2

     जो लोग इतना खुलापन करते फिरते हैं वह भी पंचायत में बैठकर औरतों पर  अपना अधिकार जमाते हुए एक फालतू की वस्तु की तरह नीच समझते हुए ,उसके जीवन, उसके भाग्य तथा उसके चरित्र पर निर्णय सुनाते नजर आते हैं|प्रेमचंद की इन पंक्तियों में तुम्हें सारा उपदेश गरीब नारियों के सिर  थोपा जाता है उन्हीं के सिर क्यों आदर्श और मर्यादा , त्याग सब कुछ पालन करने का भार पटका जाता है|’’3

  इतनी संबंधी  समस्या हमारे समाज में काफी गंभीर और पुरानी समस्या है इसी के संपूर्ण विकास के लिए और समय की मांग को ध्यान में रखकर ही मां बाप को बेटी के जन्म के साथ उसकी विवाह की चिंता को त्याग कर उसके आने वाले उज्जवल भविष्य के लिए महत्वपूर्ण से महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए| डॉक्टर रोहिणी अग्रवाल इस प्रकार से कहती हैं – माता पिता को बेटी के बौद्धिक एवं मानसिक विकास की  रत्ती भर भी चिंता नहीं बल्कि कन्यादान का पुण्य कमा कर निश्चित हो जाने की  लालसाहै|’’4  प्रेमचंद जी ने अपने उपन्यासों में अनेकों बुराइयों कुरीतियों इस समाज में शिक्षित एवं आदर्श की गरिमा को बनाए रखा है तथा इसके साथ साथ  विभिन्न वर्गों की समस्याओं को  हमारे सामने  प्रस्तुत किया है और उनका समाधान भी ढूंढने का प्रयास किया है हिंदी साहित्य में इनका योगदान   हमेशा अविस्मरणीय रहेगा |

संदर्भ-

1 मुंशी प्रेमचंद, गोदान ,पृष्ठ संख्या 125, पब्लिशिंग हाउस दिल्ली

2ऊपर जैसा120

3ऊपर जैसा138-139

4 डॉ मंजू दलाल ,  दिवा मणि उपन्यास, राज पब्लिशिंग हाउस, 2009  पृष्ठ संख्या 31

डॉ.  अनीता
असिस्टेंट प्रोफेसर
श्री अरबिंदो कॉलेज इवनिंग
दिल्ली यूनिवर्सिटी

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