प्रियंका बैनर्जी के निर्देशन में बनी “ देवी ” लघु फ़िल्म देवी शब्द पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए नज़र आती है । इस लघु फ़िल्म में मुख्य भूमिका निभाई है काजोल , श्रुति हसन , नेहा धूपिया , नीना कुलकर्णी , मुक्ता बार्वे , शिवानी रघुवंशी आदि ने । एक कमरे में ही पूरी लघु फ़िल्म को दर्शाया गया हैं । फ़िल्म के प्रारंभ में सारे पात्र कुछ न कुछ करते नज़र आ रहे हैं , काजोल धूप-बत्ती कमरे को दिखाते हुए , एक लड़की टीवी को चलाते हुए , नेहा धूपिया गम्भीर मुद्रा में कुर्सी पर लेटे हुए , एक पढ़ते हुए और बुज़ुर्ग औरतें पत्ते खेलते हुए नज़र आती है । प्रारंभ से ही एक विचित्र सा दृश्य दर्शकों को एक उलझन में डाल देता है । तभी टीवी पर रेप की एक और ख़बर सामने आती है जिसने फ़िर से देश की संस्कृति को झकझोर कर रख दिया है । पूरे कमरे में एक अजीब सी आवाज़ गूंजती है जो कमरे में शान्ति सी कर देती है , तभी कमरे की घंटी बजती है और बुज़ुर्ग महिला कहती है कि यहाँ जगह नहीं है अब दरवाज़ा नहीं खुलेगा , काजोल कहती है कि ‘ यहाँ की आबादी तो बढ़ती जा रही है धीरे – धीरे , हर रोज़ नया आएगा , कितनों को बाहर बिठाएँगे , तभी श्रुति हसन कहती है ‘ सबको ’ । ये कहानी उस हर देवी की है जिसके साथ शारीरिक शोषण हुआ है । इस फ़िल्म में हर वर्ग और उम्र की महिला को दिखाया है , जो उत्पीड़न का शिकार हुई हैं , वो दर्द उनकी आँखों में बहुत सारे प्रश्न दर्शकों के सामने खड़े कर देता है । किसी के भाई ने तो किसी अनजान व्यक्ति ने उनके साथ बलात्कार किया । क्या संस्कृति और क्या सभ्यता ? देवी के साथ ऐसा दुष्कर्म !
फ़िल्म के अंत में जब काजोल दरवाज़ा खोलती है , तो एक छोटी लड़की दरवाज़े पर होती है जो उस दुष्कर्म का शिकार होती है , यह दृश्य , दर्शकों के मन को विचलित कर देता है कि क्या मानवता इस कदर गिर गयी है कि राक्षसों ने एक छोटी बच्ची को भी नहीं छोड़ा ? तेरह मिनट की इस फ़िल्म में हर पात्र ने बखूबी से अपना किरदार निभाया है , इस फ़िल्म में गंभीर विषय पर चिंतन हुआ है । मृतक महिलाएं मृतक संकृति का प्रतीक हैं ।
आज यही लगता है कि द्रौपदी की कहानी का कोई अंत होगा की नहीं , महाभारत हर युग की कहानी बन गयी है ।
फिल्म – देवी
निर्देशक – प्रियंका बैनर्जी
( A royal stag barrel select )