वह ब्रज मधुवन की कली,
खेलन को थी होली चली|
थी संग एक टोली अली ,
पीछा करे मधुवन कली ||
कर में गहे पिचकारियाँ,
उर में हर्षित क्यारियाँ||
थी उठ रही सिसकारिया¡¡¡
थी जल रही चिनगारियाँ||
चहुँ रंग -गुलाल ,अबीर उड़े,
कहुं भंग की मस्ती छैल पड़े|
ऐसी सुन्दरता ब्रज के लखि के
देवन भी होली खेल पड़े ||
वह राधिका मधुवन कली ,
छोड़ के सखियन चली |
थी ढूँढती नयनन अली,
वह ब्रज की गलियन चली|
कहुं रासबिहारी न देखि परे,
राधा बिरहा में जली मरे|
ज्यों जान सकूँ मैं पता उनका,
सीधे ही जाय के पाय परुं ||
एक मंद हवा का झोंका आया,
कृष्ण संदेशा संग वो लाया |
कृष्ण संदेशा लाकर उसने ,
प्रेम अवचेतन को चेतन लौटाया||
बांसुरी की मंद लहरी,
आ रही यमु कुञ्ज से|
कृष्ण थे काले भ्रमर से’
मंद लहरी गुंज से ||
या थे वे प्यारे सुमन,
पैदा हुए मधु कुञ्ज में|
जो संग थे गोपाल ,
वो बैठे पराग के पुंज में||
पाय के सन्देश पिय का,
श्यामा थी दौरत चली|
पीछा करे टोली अली ,
थी जो वो मधुवन कली||
पाय के मधुसूदन को,
सखियन को भूल चली|
थी बहुत ज्यादा ये,
बात सखियन को खली||
देखि के सम्मुख प्रिये को,
राधिका जड़वत भई|
सब शून्य हो धरा रही,
जुबाँ से कुछ न जाए कही||
फिर अचानक श्याम ने,
श्यामा को श्याममय कर डाला|
होली के उन हलके रंगों में ,
प्रेम रंग में रंग डाला||
वो राधिका कछु सोच के,
थी सुबह घर से चली |
थी कली वो श्याम को ,
श्याममय करने चली ||
श्याम तो थे श्याम ही,
घनश्याम थे उनके अली|
श्याम वो तो हो न सके,
पर श्यामा श्यामल हो चली||
थी छूटती पिचकारियाँ,
विविध रंगों से भरी |
पर उन रंगों में भी थी,
प्रेम की रंगत भरी ||
थे गोप -ग्वालिन खेलते,
रंग और गुलाल से |
पर रंग सब पर पड़ रहा था ,
नन्द के गोपाल से ||
देखि ब्रज की अनोखी छटा ,
देवन भी स्वर्ग को धाय चले|
धरि रूप देव भी ग्वालन को,
होली खेलन को ताहि चले ||
श्याम लखें, श्याम पहिचानी,
श्याम बढ़े, चले देव लिवाने||
श्याम जात, श्यामा रिसियानी,
श्याम समुझाए राधिका रानी||
श्याम -श्यामा संग ,
देवों ने भी होली खेली|
होली की उस आड़ तले,
जीवन की सुख निधि ले ली||
सब खेलते थे रंग पर,
लगता नहीं था रंग |
स्नेह -भक्ति -प्रेम से,
सुर – नर लग रहे थे परस्पर अंग||
शाम के घिरते समय,
श्यामा थी चुपके से चली|
कुछ सोचती थी वो हृदय में,
मुस्कुराती मधुवन कली||
थी साथ नहीं कोई अली,
चित्त धरे मधुसुदन चली|
आज स्वयं मधुवन कली ,
पीछा करे मधुसुदन अली ||
रंजीत कुमार त्रिपाठी
राजसमन्द, राजस्थान