- रामबाण नुस्खा
एहसास तुम्हारे
जब घुटने लगे
आँखे जब तुम्हारी
छलकने को हो
कैद कर दो खुद को
भीड़ में कहीं …
शब्द जब तुम्हारे
खामोश होने लगें
निगाहें तुम्हारी
करने लगे शोर
भर दो स्याही रंगीन
इस बेरंग ज़िन्दगी में ….
दबने लगो जब
ख्वाहिशों के बोझ तले
सपने भरने लगे तुम्हारे
एक स्वतंत्र उड़ान
कर दो खुद को गुम
दुनिया की अपेक्षाओं में …
वर्तमान युग की युवा नारी
ये रामबाण नुस्खा है तुम्हारे लिए
आधुनिक बन कर भी
खुद को परम्पराओं से जोड़ने का…..
क्या हुआ चौंक गयी
अरे सच है ये
मानो मेरी बात
हमारा समाज आधुनिक नहीं
बस करता है छलावा आधुनिक होने का ….
यही बेहतर भी है
तुम्हारे लिए
करो तुम भी आधुनिक होने का ढोंग
और बचाओ खुद को परम्पराओं की सड़ांध से ….
2. सीता
सीता
बदलनी होगी तुम्हें
परिभाषा पवित्रता की
अग्निपरीक्षा से नहीं
तर्को से करना होगा
परम्पराओं को ध्वस्त ..
सीता ,
देना होगा तर्क
अहिल्या के उद्धार का
ताड़का के संहार का
बनानी होंगी तुम्हें
नयी मर्यादाएं ….
सीता ,
बनाओ मर्यादा
स्त्री पर उठते प्रश्नों की
सम्बन्धों की निजता की
लिखना होगा तुम्हें
नया संविधान …
सीता ,
लिखो संविधान
अपने स्वातंत्र्य का
चरित्र पर उठते प्रश्नों का
कहना होगा तुम्हें
हर एहसास ….
सीता ,
कहो एहसास
अग्निपरीक्षा का
उर्मिला के वियोग का
बन्द करना होगा तुम्हें
सतीत्व का दौर ….
सीता ,
आना होगा तुम्हें
करने होंगे प्रश्न
बदलनी होंगी मान्यताएं
देकर तर्क
रखनी होगी नींव
मानसिक विकार रहित समाज की ….
3. त्रासदी
आधी रात
शहर सोया था
जाने क्या हुआ
जीव लाश बन गए
जो बचे
विकलांग थे
हाँ
विकलांग थे
फिर क्या
ये करने लगते हैं
इंतज़ार
सहानुभूति का नहीं
इंसाफ का
जो इस देश में
मिलता ही नहीं ….
सोचो ,
बस एक रसायन ,
सायनाइड ,
एक कम्पनी,
यूनियन कार्बाइड ,
थोड़ी-सी बेपरवाही ,
और परिणाम ,
एक भयंकर त्रासदी ,
भोपाल गैस त्रासदी …
ज्योति