हम फिरोज़शाह कोटला के क़िले पर ऑटो से उतरे ही थे कि अविशा ने सवाल पूछ दिया ‘मम्मा ये सारे क़िले एक जैसे ही क्यों होते हैं ?इतने टूटे, एक […]
लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की कविताएँ
चिंता की लकीरें हर तरफ़ छाया हुआ है घुप अंधेरा, खौफ़नाक मंजर ने बनाया घनेरा। माथे पे मेरे खिंची चिंता की लकीरें, तम से ढका दिनमान हो न सवेरा।। राह […]
क्या फ़र्क पड़ता है ? (कविता) – राजेश्वर मिश्र
क्या फ़र्क पड़ता है, दिल पर ज़ख्म एक हो या हज़ार। उठती हैं टीसें सहती हूँ अत्याचार, बेढब स्वेच्छाचार की राजनीति पर तुम पलते हो जैसे सदाबहार क्या फ़र्क पड़ता […]
नई शुरुआत (कविता) – विनायक
चलो एक नई शुरुआत करते हैं। थोड़ी बहुत ख़ुद से ख़ुद की बात करते हैं।। देखते है क्या बह रहा है ख़ुद के अंदर। बहती हुई नदियों से मिलता समंदर। […]
चुनावी मौसम दिल्ली – मनोज शर्मा
दरवाजे पर आहट हुई मैंने एक अधखुले दरवाजे को खोलते हुए देखा दरवाजे पर केसरी रंग की साड़ी में लिपटी एक युवती जिसके ललाट पर सिंदुर था कुछ युवकों और […]
माँ और गौरेय्या – संजय वर्मा”दृष्टि”
गौरेया इंसानों के साथ रहने वाला पक्षी वर्तमान में विलुप्ति की कगार पर जा पहुँचा है। ये छोटे-छोटे कीड़ों को खाकर प्रकृति का संतुलन बनाए रखने में सहायक है। गोरैया […]
भारतवर्ष लौट रहा है – संदीप वशिष्ठ
समय की मांग कहो या संस्कृति का स्वाभिमान वह अब लौट रहा है। भारत अब लौट रहा है । वह स्वयभू होने को है। हाँ, हाँ! वह स्वयंभू पहले से […]
‘वोल्गा से शिवनाथ तक’ एक अभूतपूर्व दस्तावेज (मुहम्मद ज़ाकिर हुसैन)- डॉ. परदेशी राम वर्मा
मैं अतीत को जीत,जीत की पहली एक किरण हूँ, भारत के आते भविष्य का मैं मंगलाचरण हूँ। बदल रहा यह देश, विश्व को मैंने दिखा दिया है, मैं भिलाई […]
बेहतरीन मगर बेअसर ताना जी – तेजस पूनिया
यह एक ऐतिहासिक फ़िल्म है। जो अच्छी तरह से किक मारती है, बीच में फड़फड़ाती है और फिर चरमोत्कर्ष में कुछ अच्छे घूंसे मारती है। पीरियड ड्रामा या ऐतिहासिक थकान […]