मनुष्य एक गतिशील प्राणी है, विचरण करना इसका स्वाभाविक कर्म है| जब से मनुष्य इस धरती पर आया वह निरंतर गतिशील रहा है|निरंतरता मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्ति हैं मनुष्य के […]
व्यक्ति के जीवन में श्रीमद्भगवद्गीता का महत्त्व – डॉ. कामराज सिंधु
श्रीमद्भगवद्गीता दुनिया का सबसे बड़ा ग्रंथ माना जाता है !धर्म ग्रंथों के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन […]
स्त्री-मुक्ति की राहें : सपने और हकीकत – डॉ. रामचन्द्र पाण्डेय
हमारी परम्परा और संस्कृति में स्त्री सदैव ‘देवि, माँ सहचरि तथा अपने सभी रूपों में सम्मान और श्रद्धा की ही अधिकारिणी रही है। उसके महत्व को, उसकी अस्मिता को हमेशा […]
‘युद्ध’ कहानी में अभिव्यक्त मुस्लिम मानस – शिखा
शानी एक ऐसे कथाकार हैं जिन्होंने अपने कथा साहित्य के माध्यम से मुस्लिम वर्ग को चित्रित किया है। यह वर्ग अब तक हिंदी साहित्य में अनछुआ था। भारत-पाक विभाजन एक […]
बालशौरि रेड्डी के साहित्य में प्रयुक्त भाषा – डॉ. आर.सपना
बालशैरि रेड्डी दक्षिण के सुप्रसिद्ध लेखक हैं। बालशौरि रेड्डी अपने कार्य के प्रति निष्ठा, कठोर परिश्रम, साहित्य साधना तथा अनवरत संघर्ष के प्रेरणाप्रद उज्ज्वल उदाहरण है। इनकी मातृभाषा तेलुगु है। […]
फिल्म ‘दंगल’ के गीत : भाव और अनुभूति – डॉ.ममता धवन
आजकल का दौर तीव्रता से कहानी कहने का चल रहा है। फिल्म प्रदर्शित करने की समय अवधि कम होती जा रही है। फिल्म के इस कम समय को बनाए रखने […]
सोलहवीं शताब्दी के स्पैनिश सन्त सान खुआन का रहस्यवाद – माला शिखा
स्पेन में सोलहवीं शताब्दी के दो सन्त, सान्ता तेरेसा दे खेसूस व सान खुआन दे ला क्रूस, कदाचित स्पेन के आज तक के सबसे प्रमुख रहस्यवादी सन्त रहे हैं। प्रस्तुत […]