रामवृक्ष बेनीपुरी की प्रेरक आत्मकहानी – वीना कुमारी

साहित्य के महारथी स्वर्गीय श्री रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन राजनीति, साहित्य,और व्यक्तित्व का ऐसा अनुपम समावेश है जो शायद ही और कहीं  मिलेगा । 68 साल का बेनीपुरी का जीवन […]

 प्रदीप कुमार सिंह और रामप्रकाश दिवेद्धी द्धारा संकलित व संंपादित पुस्तक की समीक्षा –   डॉ. विधि शर्मा

  प्रसिद्ध समाजशास्त्री एवं राजनीतिज्ञ प्रो. आनंद कुमार द्धारा पिछले 25 वर्षो में लिखे गए लेखों तथा दिए गए भाषणों को एकत्रित कर डॉ. प्रदीप कुमार सिंह और डॉ. रामप्रकाश द्धिवेदी […]

सिनेमा का भाषिक और सामाजिक अध्ययन (विशेष संदर्भ नसीरूद्दीन शाह अभिनीत फिल्में)-डॉ. माला मिश्र

 पिछली सदी शुरू होने से पूर्व ही जब देश अपनी स्वतन्त्रता पाने की ओर अग्रसर था और देश में राजनैतिक और सामाजिक सुधार का व्यापक दौर चल रहा था, उसी […]

सिनेमा के कैनवास का लोक रंग – अर्चना पाठक

लोकाचार या लोकजीवन भारत जैसे ग्राम्य आधारित समाज का एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण अंग है, जिसकी पैठ समाज की अन्तर्षिराओं में रक्त की भाँति है। इस दृष्टि से हिन्दी सिनेमा के […]