आदिवासी लोककथा में निहित मानव जीवन का सार – डॉ. प्रवीण बसंती

हिंदी का ‘लोक’ शब्द फोक का पर्यायवाची शब्द है। जिसका अर्थ है जन या ग्राम। अतः लोक का अभिप्राय सर्वसाधारण जनता से है, वह जनता जिसकी व्यक्तिगत पहचान न होकर […]

भारतीय ज्ञान परंपरा में नाट्यशास्त्र: नाट्य अन्वेषण – ज्योत्सना आर्य सोनी

भारत की पहचान आदि काल से ज्ञान परंपरा एक ज्ञान संस्कृति के रूप में जानी जाती रही है । अनेक प्राचीन सभ्यताएं ज्ञान के क्षेत्र में भारत की सदैव ऋणी […]

कृष्ण भक्त कवियों की स्त्री विषयक दृष्टि – शालू

शोध सार कृष्ण भक्ति की परंपरा प्राचीन काल से देखने को मिलती है। कृष्ण के चरित्र की प्रतिष्ठा में सर्वाधिक योगदान श्रीमद्भागवतपुराण का रहा है। इसमें कृष्ण के बहुमुखी प्रतिभा […]

शरद सिंह के उपन्यासों के संदर्भ में नारी-विमर्श – सपना

हिंदी-साहित्य में एक सुपरिचित और प्रतिष्ठित नाम है, ‘शरद सिंह’ जिन्होंने नारी की दसदिक् पीड़ाओ को अपने साहित्य के माध्यम से अभिव्यक्ति प्रदान की है। गद्य एवं पद्य की अनेक […]

हिंदी आत्मकथा में स्त्री ( विशेष संदर्भ में – “पिंजरे की मैना“) – प्रियंका सिंह

शोध सार – हिन्दी की स्त्री लेखिकाओं की आत्मकथाओं का अध्ययन करने के उपरांत यह स्पष्ट हो जाता है की उन्होंने अपने जीवन में भोगे हुए यथार्थ के अनुभवों को […]

खड़ी बोली के साहित्य निर्माण में भारतेंदु हरिश्चंद्र की भाषाई नीति – रोहित मिश्रा

हिंदी साहित्य में आधुनिक काल की शुरुआत भारतेंदु युग से मानी जाती है। भारतेंदु युग से पूर्व का साहित्य मुख्यतः काव्य विधा तथा ब्रज भाषा में लिखा जा रहा था, […]

भारतेन्दु के मौलिक नाटकों में भारतीय स्वतंत्रता का परिदृश्य – जितेन्द्र शुक्ला

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र उन युग-प्रवर्तकों में से है जिनके व्यक्तित्व के माध्यम द्वारा इतिहास की बिखरी हुई शक्तियाँ सिमट कर एक हो जाती है और जो भविष्य के लिए एक निश्चित […]

भक्ति काल : सृजनशीलता और भाषा  (कबीर के विशेष संदर्भ में) – प्रो. माला मिश्र

कबीर की काव्यभाषा में मुख्यतः प्रयुक्त हुए शब्दों के मूल स्रोतों के संदर्भ  में उनकी सृजनशीलता का विश्लेषण बड़ा ही रोचक है। लोकजीवन से गृहीत शब्दों के मूल स्रोत के […]

सिलहटी रामायण – अभय रंजन

सिलहट पूर्वोत्तर बांग्लादेश में एक महानगरीय शहर है । बंगाल के पूर्वी सिरे पर सूरमा नदी के दाहिने किनारे पर स्थित एक उष्णकटिबंधीय जलवायु और हरे-भरे ऊंचे इलाके वाला शहर […]

स्वाधीनता पूर्व की हिंदी कहानियों में विवाहेतर संबंध – कुसुम सबलानिया 

शोध सार – इस शोध पत्र में समाज में आए विचलन को साहित्य की सशक्त विधा कहानियों के जरिए समझने की कोशिश की गई है। साहित्य को समाज का दर्पण […]