मनुष्य से ही समाज का निर्माण होता है। व्यक्ति समाज की इकाई है। सामाजिक गतिविधियों का सीधा प्रभाव व्यक्तियों के मन-मस्तिष्क पर पड़ता है। सामाजिक गतिविधियों के परस्पर संबंध ही […]
सामाजिक विज्ञान के परिप्रेक्ष्य में बाल मजदूरी – डॉ. सीमा दास
सार मानव अधिकारों के महत्वपूर्ण मानकों में बच्चों के अधिकार भी शामिल हैं। विकासशील देशों के श्रम बाजार में बच्चों का शोषण और उनके बचपन के वैध अधिकार से इनकार […]
अनुवाद में प्रोक्ति, परिवृत्ति की अवधारणा – डॉ. श्रीराम हनुमंत वैद्य
प्रस्तावना:- प्रत्येक भाषा का अपना एक विशिष्ट परिवेश होता है, जिसमें वह भाषा पलती है, फुलती है। कोई भी दो भाषाएं ध्वनि, शब्द, अर्थ, उच्चारण, लय, पदबन्ध, वाक्य विन्यास, […]
साहित्य सृजन और इतिहास में रहीम की भूमिका – किशोरी लाल
सारांश मध्यकालीन भारतीय इतिहास के मुगल दरबार में रहीम का सम्राट अकबर कालीन शासन में अपना एक प्रभावशाली ओहदेदार व्यक्तित्व था। वे एक कुशल सैन्य-संचालक, महान योद्धा व दानियों के […]
निर्मल वर्मा के कथा साहित्य में अभिव्यक्त प्रेम – खुशबू
प्रेम एक ऐसा विषय है, जिसमें कभी भी, कोई भी साहित्यकार अपने आपको तटस्थ नहीं रख सका है। हर युग में प्रेम अपने नए कलेवर के साथ चित्रित होता है। […]
रहीमदास के दोहों का वर्तमान परिवेश में मनोसामाजिक चित्रण – डॉ० आशा कुमारी एवं डॉ० राजेश
सारांशिका भक्तिकाल के प्रसिद्ध कवि रहीमदास अकबर के समय में उनके दरबार के नव रत्नों में से एक थे | उनकी कृतियां आज भी गंगा जमुनी तहजीब और कौमी एकता […]
रघुवीर सहाय की कविताओं में अभिव्यक्त स्त्री – अभिनव सिंह
शोध सार नारी विमर्श एक ऐसी विचारधारा या चिन्तन है जो स्त्री और पुरुष के मध्य भेदभाव को समाप्त कर नारियों को पुरुषों के बराबरी में खड़ा कर उन्हें शक्ति […]
प्रवासी स्त्रियाँ (उषा प्रियंवदा के उपन्यासों के विशेष संदर्भ में) – शशि शर्मा
शोध-सार : अपने मूल स्थान से अलग किसी अन्य स्थान पर जाकर बसने वाला व्यक्ति ‘प्रवासी’ कहलाता है। नए स्थान पर बसने के दौरान प्रवासी व्यक्तियों को कई तरह की […]
रहीमदास के दोहों का वर्तमान परिवेश में मनोसामाजिक चित्रण – डॉ. आशा कुमारी
सारांशिका भक्तिकाल के प्रसिद्ध कवि रहीमदास अकबर के समय में उनके दरबार के नवरत्नों में से एक थे । उनकी कृतियां आज भी गंगा जमुनी तहजीब और कौमी एकता के […]
कवि रहीम के दोहे से जीवन की वास्तविकता के दर्शन – डॉ. शिंदे मालती धौंडोपन्त
अब्दुर्रहीम ख़ान-ए-ख़ाना या रहीम, एक मध्यकालीन कवि, सेनापति, प्रशासक, आश्रयदाता, दानवीर, कूटनीतिज्ञ, बहुभाषाविद, कलाप्रेमी, एवं विद्वान थे। वे भारतीय सामासिक संस्कृति के अनन्य आराधक तथा सभी संप्रदायों के प्रति समादर भाव के सत्यनिष्ठ साधक […]