कामायनी में दर्शन – डॉ. दिनेश कुमार

जयशंकर प्रसाद जी कवि होने के साथ ही वैदिक परंपरा के ऋषि भी हैं कामायनी हिंदी का वेद है तो उसके पद्य  मंत्र हैं जिनका भाव मनन द्वारा ही जाना […]

प्रेम के रंग में सराबोर हिंदी ग़ज़लें – नवीन कुमार जोशी

ग़ज़ल का इतिहास लगभग पंद्रह सौ वर्ष पुराना है। इन पंद्रह सौ वर्षों में ग़ज़ल विधा के अर्थ और स्वरूप में परिवर्तन हुआ है। अरबी भाषा में ग़ज़ल का अर्थ […]

मुद्राराक्षस के निबंध-साहित्य में द्वंद्व की अभिव्यक्ति – चंचल

साहित्य अर्थात् जन हित की कामना से परिचय कराने वाला तत्व ही साहित्य है। साहित्य अपने समय तथा समकालीन समाज को अपने भीतर आत्मसात कर भावी पीढ़ी के लिए एक […]

साहित्यिक सिनेमा में अंतर-सांस्कृतिक संचार के विविध स्वरूप – ज्ञान चन्द्र पाल

शोध सार-                     हिंदी सिनेमा भारतीय संस्कृति की अंतर्राष्ट्रीय संवाहक है। इसमें भारतीय जीवन-पद्धति के प्रत्येक क्षेत्र की झांकी दिखाई देती है। इसमें हम भारत के छोटे कस्बे से लेकर […]

भक्तिकाल के उदय के आयाम – राहुल पाण्डेय

ईस्वी सन की सातवीं शताब्दी से अद्यतन -काल तक अनवरत रुप से प्रवाहित हिंदी काव्यधारा में भक्ति का प्रवाह मन्दाकिनी की तरह अपनी निष्कलुष तरँगावली और अनन्त जनता के मन […]

वर्तमान परिस्थितियों में रहीम जी के दोहों का प्रभाव – श्रीमती नाईकवाड़ी निलोफर अब्दुलसत्तार

भक्तिकालीन कवि रहीम जी सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक थे। जिस प्रकार रत्न अनमोल और बहुत ही लुभावने और चमकदार होते हैं उसी प्रकार रहीम जी के दोहे […]

गांधीजी के राम : एक सांस्कृतिक-विमर्श – डॉ. अरुणाकर पाण्डेय

रामनाम से गांधीजी का पहला परिचय उनकी धाय रंभा के कारण हुआ जिसने उन्हें बताया था कि भूतप्रेत का इलाज रामनाम है ।इस तरह देखें तो रामनाम का प्रभाव बचपन […]

तुलसी के राम सौंदर्य, शक्ति और शील के संगम – नदीम अहमद

गहराई से किए गए तुलसी काव्य के अवलोकन से यह चित्रित सत्य एकदम साफ हो जाता है कि तुलसी ने राम को चार रूपों में चित्रित किया है:- (1) निर्गुण […]

वर्तमान सांस्कृतिक संकट और राम कथा – डॉ. दीप्ति

समाज के अभिन्न अंग व्यक्ति के समग्र जीवन की पृथक-पृथक परिष्कृत एवं सुसंस्कृत गतिविधियों के समुच्चय रूप का नाम संस्कृति है। वर्ल्ड यूनिवर्सिटी एनसाइक्लोपीडिया के अनुसार, “संस्कृति समाज विशेष की […]

राम के ‘निराला’ व निराला के ‘राम’ – राजन सिंह

राम  के  विराट  व्यक्तित्व  की  तरह  निराला  का  भी  व्यक्तित्व  विराट है। राम केवल एक चक्रवर्ती राजा के पुत्र ही नहीं वरन् उनका व्यक्तित्व एक प्रजापालक, मर्यादित, आदर्शवादी, नैतिकता की […]