भारत के विविध भाषा के साहित्य की भांति असमीया साहित्य भी प्राचीन इतिहास से समृद्ध है। असमीया साहित्य की इतिहास रचयिताओं ने इस इतिहास को मूल रूप से प्राचीन युग, […]
निराला साहित्य में राम – प्रतिभा
साहित्य के आदि चरित्र और भारतीय संस्कृति के प्रतीक पुरुष के रूप में राम प्रत्येक देश, काल व परिस्थिति में आदर्श नायक के रूप में प्रतिष्ठित हैं। धर्म और अधर्म […]
भवभूति के राम – डॉ. पल्लवी भूदेव पाटील
भवभूति संस्कृत के श्रेष्ठ नाटककार हैं। कालिदास के नाटकों में समतुल्य भवभूती के नाटक माने जाते हैं। भवभूति विदर्भ के पद्मपूर नामक स्थान के निवासी थे। भवभूति ने भट्टश्रीकंठ पछलांछती […]
भक्ति कालीन साहित्य में राम – पार्वती
शोध सार – भक्ति परम्परा का विकास प्राचीनकाल से ही आरम्भ हो गया था। राम भक्त कवियों ने अपनी मधुर वाणी के द्वारा जनसाधारण के हृदय में राम भक्ति का […]
तुलसी साहित्य में राम – तिलकराज गर्ग
तुलसी साहित्य में केवल रामकथाओं एवं रामस्तुति, ही प्रमुख है। सर्वाधिक प्रचलित रामचरितमानस के अतिरिक्त तुलसी साहित्य में विनय पत्रिका, गीतावली एवं दोहावली ही जनसाधारण के प्रचलन में है। शेष […]
सगुनहि अगुनहि नहिं कछु भेदा : कबीर और तुलसी के -पिंकी कुमारी
‘रमंति इति रामः’; जो रोम रोम में रम रहा है और समूचे ब्रह्मांड में व्याप्त है; वही राम है। अमरकोश में ‘राम का एक अर्थ मनोज्ञ: भी किया गया है’[1] […]
संस्कृत साहित्य में राम – डॉ. रेणु गुप्ता
राम शब्द का उच्चारण होते ही एक बिम्ब सामने उभर आता है । एक धनुर्धारी, सौम्य मनमोहक मुस्कान लिए अद्वितीय रूप । एक ऐसा चरित्र जो मर्यादा पुरुषोत्तम है, लोकमंगलकारी […]
निराला के साहित्य में राम – डॉ. सरोज पाटिल
सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला जी हिन्दी साहित्य के दैदीप्यमान नक्षत्र हैं, उन्होंने अपनी प्रत्येक रचना में अपनी नवोन्मेषशालिनी प्रतिभा का परिचय दिया है। निराला जी का रचनाकाल सामान्यतः 1916 से 1960 […]
तुलसीदास के काव्य में आधुनिकता – अनुराग सिंह
जिसे हम साहित्य समझकर पढ़ रहे हैं, जिसमें हम तमाम साहित्यिक अवधारणाएँ खोजते हुए फिरते हैं, जो साहित्य जगत में एवं साहित्य के सजग पाठकों के लिए एक उत्कृष्ट रचना […]
संशय की एक रात के राम – उज्ज्वल शुक्ला
वाल्मीकि के द्वारा रामायण लिखने के बाद से हर युग में राम को तथा रामकथा को अपने अनुसार आख्यायित करने का काम कवियों ने किया है । बौद्ध काल में […]