वैश्विक साहित्य में राम – सिद्धेश्वर काश्यप  

श्रीराम की वैश्विक सत्ता है। राम का चरित्र मानवीय अस्मिता एवं स्वत्व-बोध से संपृक्त है। राम सौंदर्य के आगार, शील की प्रतिमा और शक्ति के प्रतीक है। राम मर्यादा पुरूषोत्तम […]

भारतीय संस्कृति का अनूदित रूप : रामकथाएं – प्रियंका

शोध सार: सभ्यता की शुरुआत से ही रामकथा हमारे जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग रही है। भारत में रामकथा का मैखिक एवं लौकिक स्वरूप निरंतर बदलता रहा है। भारत की भिन्न […]

भारतीय सामाजिक-सांस्कृतिक संकट और रामकथा – शैलेंद्र कुमार सिंह

रामकथा अपने आप में सांस्कृतिक समन्वय की विराट चेष्टा धारण किए हुए है। राम का अलग-अलग दिशाओं में प्रस्थान और संबधित समस्याओं का समाधान धीरे-धीरे उन दिशाओं में राम नाम […]

पूर्वोत्तर भारत के समाज,साहित्य एवं संस्कृति में राम (असमिया भाषा के विशेष सन्दर्भ में) – अजय कुमार

भारतीय समाज, साहित्य और संस्कृति में राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं| राम का शील चरित्र इतना लोकप्रिय है की भारतीय भाषाओं में ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर एक विशाल साहित्य […]

नरेंद्र कोहली की रामकथा में स्त्री विमर्श – सुविज्ञा प्रशील

भूमिका- भारतीय वाङ्मय में रामकथा की परंपरा अति प्राचीन है। रामकथा सिर्फ भारत में ही नहीं वरन सारे भारतीय उपमहाद्वीप, दक्षिण एशिया तथा मध्य एशिया तक विभिन्न रूपों में प्रचारित-प्रसारित होती […]

तुलसी साहित्य में राम – डॉ. यशवन्ती देवी                            

तुलसीदास जी भक्तिकाल की सगुण काव्यधारा के महाकवि हैं। इनका एकमात्र महाकाव्य ‘रामचरितमानस’ है। इस महाकाव्य ने तुलसीदास जी को ‘अमर कवि’ के रूप में प्रसिद्ध करवाया है। ‘रामचरितमानस’ उनकी […]

वैश्विक साहित्य में राम (तेलुगु साहित्य में राम) – एन.बी.एन.वी. गणपति राव

राम के चरित्र पर आधारित जितने भी तेलुगु साहित्य के ग्रंथ उपलब्ध हैं उन सभी का मूल महर्षि वाल्मीकि कृत ‘वाल्मीकि रामायण’ ही है। रामचंद्र तेलुगु भाषी क्षेत्रों में हिंदुओं […]

मानव जीवन की अमूल्य अभिव्यक्ति : संस्कृति  – डॉ. कुलभूषण शर्मा

 मानव जीवन संघर्ष से परिपूर्ण है I जीवन के संघर्ष के कारण व्यक्ति उदासीन होकर कभी एक स्थान से दूसरे स्थान या परिस्थितियों में भटकने लगता है तो कभी इसी […]

लोकतंत्र की विसंगतियाँ और रघुवीर सहाय की कविता – प्रियंका चौधरी

‘‘बशर्ते कि बलात्कार से माँ और बन्दूक से बच्चा अपने को बचा ले’’ भावुक तो हर कोई हो सकता है लेकिन कसौटी तो यह है कि वह कितना संवेदनशील है। […]

कस्तूरबा गाँधी का ‘बा’ बनने तक का सफर – डॉ. अनामिका जैन

सारांश: भारतीय स्वतंत्रता-आंदोलन में कस्तूरबा गाँधी के योगदान को भारतीय स्त्रियों के योगदान में शीर्ष में गिना जाता है। बा की प्रेरणा और उनके त्याग-समर्पण की भावना के परिणामस्वरूप हम […]