बालकृष्ण भट्ट के निबंधों में गौरवपूर्ण अतीत की अभिव्यक्ति – चन्द्रशेखर कुमार

प्रत्येक देश के इतिहास में कुछ-न-कुछ ऐसी घटनाएँ होती हैं जो वर्त्तमान समय के लिए गर्व करने का विषय होता है । यह अतीत वर्त्तमान को गर्व करने का मौका […]

बीते कल में आज को दिखाती भरखमा – नवीन कुमार जोशी

राजस्थानी फ़िल्म का नाम सुनते ही हमें अजीबो गरीब अहसास होता है कि कोई ऐसी फ़िल्म सिनेमा घर में लगी होगी जो अपने ही पात्रों के भीतर दम तोड़ देगी। […]

अनुक्रमणिका

अनुक्रमणिका संपादकीय  डॉ. आलोक रंजन पांडेय बातों – बातों में  समाज को जगाने के लिए टॉर्चबियरर की तरह से होता है साहित्यकार : नीरजा  माधव – डॉ. नूतन पाण्डेय शोधार्थी […]

समाज को जगाने के लिए टॉर्चबियरर की तरह से होता है साहित्यकार : नीरजा  माधव – डॉ. नूतन पाण्डेय

साहित्य की अनेक विधाओं में अपनी कलम से चमत्कृत करने वाली हिंदी साहित्यकार डॉ. नीरजा माधव पाठकों के मध्य जितनी लोकप्रिय हैं, उतनी ही साहित्य मनीषियों द्वारा प्रशंसित भी रही […]

सिलहटी रामायण – अभय रंजन

सिलहट पूर्वोत्तर बांग्लादेश में एक महानगरीय शहर है । बंगाल के पूर्वी सिरे पर सूरमा नदी के दाहिने किनारे पर स्थित एक उष्णकटिबंधीय जलवायु और हरे-भरे ऊंचे इलाके वाला शहर […]

तुलसी के राम – हर्षित राज श्रीवास्तव

श्रीरामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी लिखते है –“सिया राम मय सब जग जानी। करहुँ प्रणाम जोरि जुग पानी।।“1 अपने पूरे जीवनवृत्त एवं रचना संसार को श्रीराम के श्रद्धा चरण एवं […]

चंडी चरित्र : हमारी समृद्ध परंपरा का आख्यान- मधुबाला 

हिंदी साहित्य की सुंदरता इस बात में मानी जा सकती है कि प्रत्येक युग में योग निरपेक्ष प्रवृत्तियों से युक्त रचनाएँ भी हुई हैं। इसी तथ्य को प्रमाणित करने के […]

प्रेम और सौन्दर्य के कवि : गिरिजाकुमार माथुर – सुदेश कुमार 

शोध सार :- नयी कविता के अत्यंत समर्थ आधार-स्तम्भ के रूप में कवि गिरिजाकुमार माथुर हैं जिन्होंने किसी वाद से प्रभावित होकर कविता की रचना नहीं की वरन युगीन मांगों […]

एक प्रश्नाकुल मनःस्थिति- चेक रचनाकार कारेल चॉपेक का कथा संसार – डॉ. मीनू गेरा

प्रस्तावना- बीसवीं शताब्दी के यूरोपीय साहित्यकारों ने अनुभवों और विचारों के धरातल पर वैविध्य के ऐसे संसार को खड़ा किया जिसने भौगोलिक सीमाओं को तो परिभाषित किया, चेतना के धरातल […]

मैथिलीशरण गुप्त कृत ‘साकेत‘ में भारतीय संस्कृति के विविध आयाम – कल्याण कुमार

संस्कृति किसी भी राष्ट्र की आधारशिला होती है। राष्ट्र रूपी वृक्ष का निर्माण संस्कृति रूपी बीज के प्रस्फुटन से ही होता है। राष्ट्र के भीतर समाहित समाज,परिवार और व्यक्ति के […]