भारत गाँवों का देश है,यहाँ 70 प्रतिशत से ज्यादा लोग गाँवों में रहते है,और 60 प्रतिशत से ज्यादा लोगों का जीवन कृषि पर निर्भर है,लेकिन फिर भी क्यों गाँव और […]
भाषा और अस्मिता का अंतस्संबंध – बीरेन्द्र सिंह
अस्मिता का अर्थ है- पहचान तथा भाषाई अस्मिता से तात्पर्य है- भाषा बोलने वालों की अपनी पहचान। ‘अस्मिता’ शब्द के संदर्भ में डॉ. नामवर सिंह ने कहा है कि- “हिंदी […]
ओक्ताविओ पास का “भारत”: अनुवाद एवं समीक्षा – माला शिखा
यूरोपीय देशों और संयुक्त राज्य अमेरिका से इतर लैटिन अमेरिका के बुद्धिजीवियों काप्राच्य देशों, उनकी सभ्यताओं तथा संस्कृतिओं को समझने का प्रयास उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त में आधुनिकतावाद के आगमन […]
भारत के महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद के करकमलों द्वारा “राजभाषा गौरव” पुरस्कार से सम्मानितडॉ. अमरीश सिन्हा द्वारा लिखित “बीमा सुरक्षा और सामाजिक सरोकार” पुस्तक की समीक्षा – डॉ. प्रमोद पाण्डेय
डॉ. अमरीश सिन्हा द्वारा लिखित “बीमा सुरक्षा और सामाजिक सरोकार” पुस्तक के लिए उन्हें १४ सितंबर-२०१७ को हिंदी दिवस के अवसर पर भारत के महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद के […]
महारानी पद्मिनी: इतिहास या मिथक – डा. वीरेन्द्र भारद्वाज
इन दिनों चित्तौड़ की महारानी पद्मिनी की जीवन-गाथा भारतीय जनमानस को झकझोर रही है । संजय लीला भंसाली बम्बईया फिल्मों के मझे हुए डायरेक्टर हैं जो अक्सर ऐतिहासिक किरदारों में […]
प्रतिरोध का सिनेमा वाया कड़वी हवा – तेजस पूनिया
प्रदूषण हर तरह का हानिकारक होता ही है उसी के परिणामस्वरूप हमें और कई गम्भीर परिणाम भी भुगतने पड़ते हैं । वर्तमान में तेजी से बदलते हमारे देश भारत में […]
पीयर रिव्यू तथा प्रकाशन की नैतिकता
इस जर्नल में उन्हीं आलेखों पर प्रकाशन हेतु विचार किया जाएगा जो सर्वथा मौलिक होंगे, साथ ही लेखक द्वारा प्लेगरिज्म (साहित्यिक चोरी) से वंचित होने का घोषणा-पत्र संलग्न होगा। इस […]
सहचर ई-पत्रिका की आचार नैतिकता
इस ई-पत्रिका में उन्हीं आलेखों पर प्रकाशन हेतु विचार किया जाएगा जो सर्वथा मौलिक होंगे। इस ई-पत्रिका में प्रकाशनार्थ जो भी आलेख लेखकों द्वारा प्रेषित किए जाएं, वे यह सुनिश्चित […]
कबीर की सामाजिक चेतना : डॉ. साधना शर्मा
सामान्यतः सामाजिक से हमारा तात्पर्य किसी देश एवं काल विशेष से संबंधित मानव समाज में अभिव्यक्त परिवर्तनशील जागृति से होता है। इसका उद्भव सामाजिक अन्याय, अनीति, दुराचार, शोषण की प्रक्रिया […]
अनुक्रमणिका
संपादकीय – डॉ. आलोक रंजन पांडेय बातों-बातों में हबीब तनवीर के संदर्भ में कपिल तिवारी से ऋतु रानी की बात-चीत शोधार्थी पाठकों से संवाद करती स्वयंप्रकाश की कहानियाँ : डॉ.शशांक […]