युवाओं के कंधों पर सवार न्यू मीडिया – डॉ. अनु चौहान

सुबह-सुबह आंख खुली तो पहली नजर मोबाइल खोजती नजर आई। बगल में ही रखे मोबाइल की स्क्रीन लाइट ने नींद का नशा कुछ कम किया और रही बची कसर फेसबुक […]

अंबेडकर के दलित -दर्शन का हिन्दी कथा – साहित्य में बौद्धिक प्रतिफलन – डॉ. माला मिश्र 

कुसुम मेघवाल के अनुसार- ” दलित का शाब्दिक अर्थ है कुचला हुआ । अतः दलित वर्ग का सामाजिक संदर्भो में अर्थ होगा वह जाति समुदाय जो अन्यायपूर्वक सवर्णों या उच्च […]

सोशल मीडिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता- कु. किरण त्रिपाठी

“संचार मनुष्य की मूलभूत आवश्यकता है. आधुनिक मनुष्य के बारे में तो यह बात सौ प्रतिशत लगू होती है. मनुष्य जिस समूह, जिस वातावरण में रहता है वह उसके बारे […]

अभिव्यक्ति के नए आयाम – डॉ. चित्रा सचदेवा

आज जब संसार के सिमट कर नजदीक आने की बात की जाती है,तो इसके पीछे संचार क्रांति की महत्ती भूमिका दृटिगत होती है। औद्योगिक क्रांति के बाद सबसे बड़ी क्रांति […]

भारत में समकालीन मीडिया और मौद्रिक व्यवस्था: विमुद्रीकरण के संदर्भ में – राकेश कुमार दुबे

विकास और राष्ट्र के नाम पर उपजे मौसमी पक्षकारों की जमात की पैन्तरेबाजी से जनता बस ‘सक्रिय-मूकदर्शक’ बनाई जा रही है !! आज सरहद की सुरक्षा में लगे सैनिकों के […]

न्यू मीडिया की विश्वसनीयता – दीपक झा

न्यू मीडिया का मतलब मीडिया के क्षेत्र में कुछ नयापन से है…. इसमें प्रतिदिन कुछ न कुछ जुड़ता ही चला जा रहा है.. अगर थोड़ा पीछे मुड़ कर देखे तो […]

रीतिकालीन साहित्य और न्यू मीडिया : डॉ. सरिता

रीतिकालीन साहित्य को न्यू मीडिया से जोड़कर देखना कहीं न कहीं अजीब भी लग सकता है लेकिन इन दोनों की पारस्परिकता पर ध्यान दें तो वह महत्वपूर्ण भी लगता है। […]

मानव अधिकारों की रक्षा में मीडिया की भूमिका – डॉ. कमलिनी पाणिग्राही

भारत जैसे दो-तिहाई निरक्षर देश में मानव अधिकारों की रक्षा में मीडिया की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। 10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्रीय मानव अधिकारों की सर्वमान्य घोषणा की थी […]

बिहार के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल और मीडिया – डॉ. सुशील कुमार

बिहार पर्यटन प्राचीन सभ्यता, धर्म, इतिहास और संस्कृति का अनुठा मेल है, जो भारत की पहचान है। यह राज्य भारत के कुछ महान सम्राज्यों जैसे मौर्य, गुप्त और पलस के […]

मीडिया में भारतीय जीवन मूल्यों का स्वरूप – डॉ. आशा रानी

समस्त सृष्टि की जिज्ञासा-जनित अनुभूतियों की तथ्यपरक और आदर्शोन्मुख – यथार्थ की अभिव्यक्ति जनसंचार की अनिर्वायता है। समकालीन सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं मानवीय गतिविधियों एवं विचारधाराओं को प्रतिबिम्बित और […]