‘साहित्य समाज का दर्पण है’ – यह कहावत अपनी कसौटी पर खरी है या नहीं पर साहित्य को समझने के लिए समाज को जानना आवश्यक है। व्यक्ति का सामंजस्य, संबंध […]
एनिमेशन फिल्मों का जादुई संसार – डॉ. अंकित कुमार श्रीवास्तव
बच्चों का मन मनुष्य जीवन की सबसे प्रारंभिक एवं कोमल प्रवृत्ति है| प्रारंभिक अवस्था में बच्चों का जीवन बहुत ही भावुक और संवेदनशील होता है | इस दौरान अधिगम की […]
अनुक्रमणिका
संपादकीय- डॉ. आलोक रंजन पांडेय बातों – बातों में प्रसिद्ध रंगकर्मी और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्व निदेशक देवेंद्रराज अंकुर से ऋतु रानी की आत्मीय बातचीत शोधार्थी युग-निर्माता कवि भारतेंदु […]
प्रसिद्ध रंगकर्मी और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्व निदेशक देवेंद्रराज अंकुर से ऋतु रानी की आत्मीय बातचीत
हबीब तनवीर के नाटकों का समग्र मूल्यांकन होना चाहिए– देवेन्द्रराज अंकुर प्रश्न. समकालीन रंगमंच के परिदृश्य पर हबीब तनवीर की लोक चेतना को एक रंगकर्मी के रूप में आप किस […]
युग-निर्माता कवि भारतेंदु हरिश्चंद्र – डाॅ. ममता सिंगला
हिंदी साहित्याकाश में जाज्वल्यमान नक्षत्र के रूप में स्थापित भारतेंदु हरिश्चंद्र ने अपनी रचनाधर्मिता के प्रकाश से हिंदी साहित्य के आधुनिक काल को आलोकित कर दिया था। भारतेंदु पूर्व कविता […]
बिदेसिया की स्त्री – अर्चना उपाध्याय
भिखारी ठाकुर रचित ‘बिदेसिया’ भोजपुरी बोली में लिखा गया लोकप्रिय गीति-नाट्य है। इस कृति की लोकप्रियता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि इसके प्रदर्शन के बाद […]
भक्ति आंदोलन में अलवर की दयाबाई का महत्व – डॉ. रूपा सिंह
सभ्यता के आरंभ से ही आम जनजीवन में स्वर्ण सबसे मूल्यांकन धातू माना गया है। अतएव किसी भी उपलब्धि अथवा उपयोगिता का मूल्यांकन जब सोने को मापदंड मानकर किया जाता […]
अम्बेडकर की वैचारिक पत्रकारिता के सामाजिक सरोकार – डॉ . माला मिश्र
भारतीय सामाजिक इतिहास में भीमराव अंबेडकर का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं । अपने जीवन – संघर्ष से उन्होंने न केवल अपने जीवन को सार्थक एवं मूल्यवान बना लिया […]
सतत विकास बनाम पर्यावरण पर बढ़ता संकट – डॉ० राजेश उपाध्याय
पर्यावरण शब्द ‘परि’ एवं ‘आवरण’ इन दो शब्दों के संयोग से बना है। इस तरह सरल शब्दों में कहें तो चारों ओर के आवरण के अंदर जो कुछ भी शामिल […]
प्रेम और सौंदर्य के कवि : प्रसाद – डॉ. तेजनारायण ओझा
सारांश : प्रसाद एक ऐसे अराधक कवि हैं जिनके जीवन और काव्य का प्राणतत्व है प्रेम और सौंदर्य। दर्शन और चिति की अवधारणा को अपनी रचनात्मक प्रक्रिया के केंद्र में […]