उसका चेहरा (लघुकथा) – मनोज शर्मा

नाश्ते के अंतिम निवाले को मुँह में निगलते हुए अश्वनी ने बैग उठाया और जल्दी से घर से बाहर की राह ली और भीड़-भाड़ वाली गलियों से होता हुआ मैट्रो स्टेशन की […]

सुभाष कुमार कामत की कविताएँ

प्रेम नादान प्रेमी-प्रेमिका ने खा ली कसमें एक साथ जीने मरने की रिश्ते नाते सब भूल गए खो गए दोनों एक दूजे में एक दूसरे के खुशी की खातिर जाति […]

एक कटोरा भरकर (कविता) – नम्रता सिंह

एक कटोरा भरकर… एक कटोरा भरकर वो लाती है अपनी ज़िंदगी की मुस्कान ममता के आँचल से निचोड़कर इधर‌‌-उधर बूँदो को छलकाये बिना समेटकर, संजोकर दूसरों की नजरों से दूर […]

इच्छा (लघुकथा) – ओमप्रकाश क्षत्रिय

वह उनकी इकलौती पुत्री थी.  माता चाहती थी कि उनकी पुत्री को उनके पति जैस व्यापारी वर न मिले, जबकि पिता चाहते थे कि उनकी पुत्री को व्यापारी वर मिलें । […]

मददगार (कविता) – संजय वर्मा “दृष्टि”

अस्वस्थता में पहचान होती ईश्वर और इंसान की कौन था मददगार श्मशान के क्षणिक वैराग्य ज्ञान की तरह भूल जाता इंसान मदद के अहसान को फर्ज के धुएँ में सांसे […]

कृष्ण सुकुमार की सात कविताएँ

(1) सपने देखते देखते चुक जाता है वुजूद, जैसे चुक जाये सूरज शाम ढलते न ढलते ! रास्ते चुक जाते हैं मंज़िल तक पहुँचते पहुँचते जैसे चुक जायें विचार अपनी […]

नारी (कविता) – अर्पना सिंह

नारी जग की आधी भाग है नारी, उससे जिन्दगी  होती पूरी सारी, फिर भी वह आज है बिचारी ! हर रूप में वह सहारा सबकी, कभी माँ, कभी बहन, कभी […]

छात्र-पॉलिटिक्स – भूपेंद्र भावुक

वर्ग, क्षेत्र,समूह-विशेष आदि के सामाजिक-प्रतिनिधित्व के लिए, उनके हितों की रक्षा के लिए, उनकी मांगों, उनकी समस्याओं आदि को उठाने के लिए उस वर्ग, क्षेत्र, समूह-विशेष से संबंधित संगठनों, आयोगों , समितियों […]

गुजराती कहानी ‘सगी माँ’ का हिंदी अनुवाद- अनुवादक : डॉ.रजनीकांत एस.शाह

नन्हा सा कुसुमायुध आज चिंतामिश्रित आनंद का अनुभव कर रहा अच्छे वस्त्रों में सज्जित था। अच्छी लगे ऐसी मुस्कराहट बिखेर रही कोई युवती घर में घूम रही थी। कुसुमायुध अपने […]